लखनऊ. राष्ट्रीय राजमार्गों पर यात्रा करने वाले ड्राइवरों के लिए 15 नवंबर से बड़ा बदलाव लागू हो गया है. केंद्र सरकार ने टोल भुगतान के नियमों में संशोधन करते हुए स्पष्ट कर दिया है कि अब FASTag से जुड़ी किसी भी गड़बड़ी पर ड्राइवरों को अतिरिक्त शुल्क देना होगा. सरकार का कहना है कि नई व्यवस्था हाईवे पर ट्रैफिक कम करने, टोल प्लाज़ा पर पारदर्शिता बढ़ाने और डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से लागू की गई है.

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बता दें कि नए नियम के तहत यदि कोई ड्राइवर FASTag लेन में प्रवेश करता है और उसका FASTag स्कैन नहीं होता या वाहन पर FASTag लगा ही नहीं है, तो अब पहले की तरह सामान्य टोल शुल्क नहीं लिया जाएगा. भुगतान का तरीका ही यह तय करेगा कि ड्राइवर को कितना टोल देना होगा. यदि इस स्थिति में ड्राइवर डिजिटल भुगतान जैसे UPI या किसी अन्य ऑनलाइन माध्यम से शुल्क चुकाता है, तो उससे सामान्य टोल का 1.25 गुना शुल्क लिया जाएगा, लेकिन यदि वह कैश में भुगतान करता है, तो शुल्क सीधे दोगुना कर दिया जाएगा.

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इस बदलाव के बाद ड्राइवरों को अपने FASTag की वैलिडिटी, वॉलेट बैलेंस और टैग की कार्यक्षमता पहले से जांचना बेहद ज़रूरी हो गया है. टोल प्लाज़ा पर कैश भुगतान अब जेब पर भारी साबित हो सकता है, जबकि डिजिटल भुगतान थोड़ा राहत जरूर देगा, लेकिन सामान्य भुगतान से अधिक ही रहेगा. सरकार का उद्देश्य है कि टोल पर लगने वाली भीड़ कम हो और अधिकतम भुगतान बिना रुके डिजिटल माध्यम से हो सके.