लखनऊ. प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ जीरो टॉलरेंस की नीति की बात करते थकते नहीं हैं. पर उनका सिस्टम ऐसा है कि घूस लेते थकता नहीं है. बाबा के सिस्टम में एक आईएएस अधिकारी ने कांड कर दिया. कांड ऐसा कि सीएम योगी की जीरो टॉलरेंस नीति पर पलीता लगा दिया. आईएएस ने सोलर उद्योग लगाने के लिए कमीशन मांग लिया. कमीशन की बात खुली तो सीएम योगी के दावे की भी पोल खोल गई. जिसे लेकर अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर जमकर निशाना साधा. अब सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या योगी ‘राज’ में कमीशनखोरी चल रही है? क्या योगी सरकार का सिस्टम पैसे में सेट है? सवाल तो ये भी है कि अधिकारी केवल मोहरा तो नहीं, अधिकारी के आड़ में कहीं कोई नेता जी तो मलाई नहीं खा रहे? ये जांच का विषय है.

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बता दें कि आईएएस अभिषेक प्रकाश ने सोलर उद्योग लगाने के लिए 5% कमीशन की मांग की थी. जिसके बाद योगी सरकार ने आईएएस अभिषेक प्रकाश को सस्पेंड कर दिया है. जिसको लेकर अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर निशाना साधा है. अखिलेश यादव ने (X) पर पोस्ट करते हुए लिखा, ‘ये है उप्र में इज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस का सच, जहाँ औद्योगिक विकास के नाम पर खुलेआम कमीशन मांगा जा रहा है और बात खुल जाने पर निलंबन का नाटक रचा जा रहा है. इस भ्रष्टाचार का अंतिम पड़ाव अधिकारी नहीं कोई और है.’

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दरअसल, सेल सोलर पी6 प्राइवेट लिमिटेड के विश्वजीत दत्ता ने इन्वेस्ट यूपी के सीईओ अभिषेक कुमार के खिलाफ रिश्वतखोरी की शिकायत की थी. विश्वजीत दत्ता के अनुसार, उन्होंने सौर ऊर्जा के कलपुर्जे बनाने का संयंत्र लगाने के लिए आवेदन दिया था. पहले आवेदन स्वीकृति कर लिया गया. उसके बाद पत्रावली में प्रकरण टालते हुए 5 प्रतिशत कमीशन की मांग की गई. कमीशन न देने पर काम न होने की बात कही गई. जिसके बाद विश्वजीत दत्ता ने मामले की शिकायत सीएम योगी से की. जिसके बाद आईएएस अधिकारी के खिलाफ जांच की गई और आरोप सही पाए गए. जिसके बाद सरकार ने अधिकारी को सस्पेंड कर दिया. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि सस्पेंड बस कर देने से भ्रष्ट सिस्टम सुधर जाएगा?

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