विक्रम मिश्र, लखनऊ. उत्तर प्रदेश में जनता का अहित करने के लिए अकेले सियासत ही दोषी नहीं हैं, बल्कि नौकरशाही भी शासन को बदनाम करने में कोई कोरकसर नहीं छोड़ती है. बस मौका तो मिले. ताजा मामला अभिषेक प्रकाश का तो आप सब जानते ही हैं, लेकिन आज हम कुछ और भी लालफीता वाले अधिकारियों की गाथा आपके सामने रखते हैं, जिनका ताल्लुक बस पैसा कामने तक था.

सत्येंद्र सिंह पूर्व आईएएस

सत्येंद्र सिंह पूर्व आईएएस नौकरशाही में ये नाम किसी से छिपा नहीं है. खुलेआम कमीशन और काम के एवज में दाम इनकी पहली प्राथमिकता थी. हालांकि, इन पर एजेंसी और शासन की नज़र इनके सेवानिवृत्ति के बाद पड़ी थी. मायावती के समय में ये लखनऊ जिले में तैनाती के दौरान अकूत सम्पत्ति बनाई. इसके बाद अखिलेश यादव के समय मे इनको लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष बनाया गया, लखनऊ में हुए हर विकास में इनका हिस्सा तय होने पर ही काम होता था.

यादव सिंह नोएडा प्राधिकरण

यादव सिंह नोएडा प्राधिकरण, ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण और यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के चीफ इंजीनियर पद पर थे. इन पर आरोप है कि आयकर विभाग द्वारा नवंबर 2014 में नोएडा सेक्टर 51 स्थित उनके आवास सहित कई स्थानों पर की गई छापेमारी से पता चला कि सिंह के पास उनकी आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति है.


देवीशरण उपाध्याय पूर्व आईएएस

जुलाई 2024 में सरकार ने वर्ष 2012 बैच के आईएएस अधिकारी देवीशरण उपाध्याय को निलंबित किया था. प्रयागराज में सदस्य न्यायिक राजस्व परिषद में तैनाती के दौरान देवीशरण उपाध्याय पर अलीगढ़ में 35 भूखंडों के पट्टे मनमाने तरीके से बहाल करने के आरोप लगे थे.

टीके शिबू आईएएस

31 मार्च 2022 को सोनभद्र के डीएम टीके शीबू को भी जमीन के पट्टों और अवैध खनन में संलिप्त पाए जाने पर योगी सरकार द्वारा निलंबित कर दिया गया था.

घनश्याम सिंह आईएएस

2014 बैच के अधिकारी घनश्याम सिंह पर लखीमपुर खीरी में तैनाती के समय जमीनों के पट्टों में धांधली के चलते निलंबित किया गया था. हालांकि, बाद में हुई जांच में उनको क्लीन चिट दे दिया गया था. इसी प्रकार सुनील कुमार वर्मा को भी अपने पद का दुरुपयोग करने और अनुपातहीन सम्पत्ति बनाये जाने का दोषी पाया गया था, लेकिन जांच में उनके खिलाफ सबूत नहीं मिलने के अभाव में बहाल कर दिया गया था.

देवेंद्र कुमार पांडेय आईएएस

2011 बैच के अधिकारी देवेंद्र कुमार पांडेय को उन्नाव के जिलाधिकारी रहते समय निलंबित किया गया था. उन पर आरोप था कि बेसिक शिक्षा विभाग में हुई खरीदारी में उनके चहेते ठेकेदारों को काम दिया गया था, जिसके एवज में मोटी हिस्सेदारी तय हुई थी. हालांकि, इनको भी अब बहाल कर दिया गया है. फिलहाल ये एक कथित घोटाले में प्रकाश में आये विभाग पशुधन विभाग में विशेष सचिव के पद पर पदस्थ है.

अमरनाथ उपाध्याय आईएएस

2011 बैच के ही अधिकारी रहे अमरनाथ उपाध्याय महराजगंज में जिलाधिकारी के तौर पर तैनात रहने के दरम्यान केंद्रीय गौ सेवा के बजट में धांधली करने के आरोप में निलंबित हुए थे. हालांकि, अब वो भी बहाल ही है. ये वो अधिकारी हैं, जिनके काले कारनामों की चर्चा दिल्ली तक हुई है, लेकिन तमाम ऐसे हैं जो कि आज भी अपनी सेवाएं शासन को दे रहे हैं, जबकि कुछ सेवानिवृत्त हो चुके हैं.