विक्रम मिश्र, लखनऊ. योगी सरकार की छवि को दलित विरोधी बनाने में कुछ अधिकारियों की बड़ी भूमिका है. योगी सरकार पर आरोप भी लग रहे हैं कि सभी योग्यताओं को पूर्ण करने के बावजूद भी दलित और पिछड़े अधिकारियों का हक कोई और ही मार रहा है. ऐसे में सरकार की सर्वजन हिताय वाली सोच पर सवाल उठने स्वाभाविक है.
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मुख्यमंत्री के विभाग में अनियमितता
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर नाम का एक विभाग है, जिसमें सीएम योगी आदित्यनाथ सभापति हैं, लेकिन उन्होंने अपने सभी अधिकार वरिष्ठ आईएएस अधिकारी पंधारी यादव को समस्त अधिकार सौंप चुके हैं. बस यहीं से खेल शुरू हो गया, पंधारी यादव ने विज्ञान एवं प्रोद्यौगिकी विभाग के विशेष सचिव को रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर की सभी जिम्मेदारियां दे दी है. रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर से लल्लूराम डॉट कॉम को मिले दस्तावेज में एक से लेकर पांच तक(सूची संलग्न है) में दलित वैज्ञानिक मौजूद हैं, बावजूद इसके किसी को भी कार्यवाहक निदेशक नहीं बनाया गया.
2011 के बाद कोई भी नियमित निदेशक नहीं
यही नहीं सबसे रोचक बात है कि इस विभाग में साल 2011 के बाद कोई भी नियमित निदेशक नहीं हुआ है. 2011 में पीएन शाह एक मात्र नियमित निदेशक थे. इसके बाद साल 2014 में देवेंद्र मिश्र, राजीव मोहन, डॉक्टर एकेजे सिद्दीकी इत्यादि सभी लोग उच्च वर्ग से थे, जिनको कार्यवाहक निदेशक बनाया गया. वर्तमान में इस विभाग में शीलधर सिंह यादव विशेष सचिव के साथ कार्यवाहक निदेशक के पद पर तैनात है.
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अखिलेश सरकार में भी यही था हाल
रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर विभाग में पिछले 13 सालों से यही हाल है. जिसमें 9 साल योगी सरकार के हुए हैं, जबकि बचे हुए समय मे समाजवादी पार्टी की सरकार थी, जिसमें अखिलेश यादव मुख्यमंत्री थे. हालांकि, इस विभाग के लिए पूर्ण कालिक निदेशक की प्रक्रिया को अमल में लाने की बहुत कोशिश की गई. नियम कायदा और मेरिट को लागू करने के लिए पानी की तरह पैसों को बहाया गया, लेकिन नतीजा सिफर ही निकला. हालांकि, केंद्र सरकार में विज्ञान एवं प्रोद्यौगिकी विभाग के मंत्री राष्ट्रीय लोकदल कोटे से दलित वर्ग से आते हैं, बावजूद इसके यूपी में सभी मानकों को पूर्ण करने के बावजूद भी दलितों का हक मारा जा रहा है. कालांतर में जब-जब दलित वैज्ञानिकों ने मानकों को पूर्ण किया है तो इस विभाग में बाहर से एक आईएएस को कार्यवाहक बनाकर बिठा दिया जाता है.
नगर और ग्राम नियोजन विभाग
नगर और ग्राम नियोजन विभाग में तो उल्टी गंगा बह रही है. इस विभाग में दलित वर्ग के अशोक कुमार अधिशासी अभियंता के पद पर तैनात है और वरिष्ठ सूची में एक नम्बर पर काबिज है, लेकिन यहां भी दलित अधिकारियों के साथ खेल हो गया. नियम विरुद्ध निस्मवर्गीय पद के सहायक वास्तुविद अनिल मिश्र को नियम पलटकर मुख्य नगर एवं ग्राम नियोजक का पदभार/कार्यवाहक का पद दे दिया गया है. ये विभाग भी मुख्यमंत्री के पास ही है. जहां पर आईएएस अधिकारी और वर्तमान प्रमुख सचिव द्वारा सीएम की छवि को धूमिल किया जा रहा है. इसके अलावा कानपुर की घटना तो आपके जहन में होगी ही जहां कुछ दिन पहले जिलाधिकारी और मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी के बीच ठन गई थी, जिसमें सीएमओ दलित वर्ग से थे और जिलाधिकारी सवर्ण वर्ग के थे, लेकिन कार्रवाई की बात करें तो सीएमओ को ही कानपुर से स्थानांतरित किया गया. जबकि, डीएम पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.
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