लखनऊ. यूपी में स्कूलों के विलय पर सियासत गरमा गई है. सपा इस मुद्दे को लेकर योगी सरकार पर लगातार हमलावर है. सपा महासचिव शिवपाल यादव ने एक्स पर पोस्ट लिखकर करारा हमला बोला है. शिवपाल यादव ने कहा, शिक्षा का विलय नहीं, ये तो भविष्य का वध है. BJP सरकार ने शिक्षा को कागजों में समेटा. प्राथमिक विद्यालयों को कागजों में समेटा. बच्चे भटक रहे, स्कूल गिनती में सिमट रहे. सरकार कहती है जहां बच्चे कम, स्कूल बंद हो. सवाल ये है कि बच्चे कम क्यों हैं? क्योंकि शिक्षक नहीं है, सुविधाएं नहीं हैं.
इसे भी पढ़ें- महिलाओं को 3000, युवाओं को iPad और हर परिवार को… 2027 में सरकार बनने पर अखिलेश यादव का बड़ा ऐलान
इससे पहले सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा था कि, शिक्षा ही विकास की सबसे बड़ी कसौटी होती है. भाजपा सरकार में शिक्षा और शिक्षकों की जो उपेक्षा हो रही है, उसके पीछे एक गहरी साज़िश है. भाजपा आनेवाली पीढ़ी से ‘शिक्षा का अधिकार’ छीनना चाहती है. जो शिक्षित होता है, वह सकारात्मक भी होता है और सहनशील भी. ऐसे लोग भाजपा की नकारात्मक राजनीति को कभी भी स्वीकार नहीं करते हैं. शिक्षा से ही उनमें चेतना आती है और वो उत्पीड़न व शोषण के ख़िलाफ एकजुट हो जाते हैं. शिक्षा से जो आत्मविश्वास आता है वह भाजपा जैसे वर्चस्ववादी दल के विरोध का कारण बनता है, इसीलिए न होंगे स्कूल, न होगा भाजपा का विरोध.
इसे भी पढ़ें- भाजपा नहीं चाहती कि बच्चे पढ़ें और आगे चलकर नौकरी मांगे… स्कूलों के विलय को लेकर अखिलेश ने सरकार को घेरा
आगे उन्होंने ये भी कहा था कि आज गांवों में स्कूल बंद होंगे कल को भाजपा के संगी-साथी सेवा के नाम पर अपने स्कूल वहाँ खोलने के लिए पहुंच जाएंगे, जिससे वो अपनी दरारवादी सोच के बीज बो सकें. भाजपा अपनी प्रभुत्ववादी सोच को बनाए रखने के लिए अशिक्षित व अवैज्ञानिक लोगों की ताली बजाती, थाली पीटती अनपढ़ों की भीड़ चाहती है. नकारात्मक सोच के लिए प्रभुत्ववादी, घोर स्वार्थी व अनपढ़ों का समर्थन चाहिए होता है. सच में शिक्षित व परमार्थ से प्रेरित एक चैतन्य व जागरुक व्यक्ति कभी भी भाजपा जैसी सोच का समर्थक नहीं हो सकता है. जितनी शिक्षा प्रसारित होगी उतनी ही भाजपाई राजनीति की जड़ कमज़ोर होगी.
इसे भी पढ़ें- अखिलेश का ‘PDA भवन’: सपा के नए कार्यालय का पूर्वांचल में उद्घाटन, योगी को आउट गोइंग CM बताते हुए कहा- ऐसे होगी सत्ता में वापसी…
आगे अखिलेश यादव ने कहा था कि सब जानते हैं कि जो चीज निगाह से दूर हो जाती है, वो दिमाग़ से भी दूर हो जाती है. जब आसपास स्कूल ही नहीं दिखेंगे तो शिक्षा की साक्षात प्रेरणा ही समाप्त हो जाएगी. हमारा तर्क ये है कि जब 1 मतदाता के लिए बूथ बनाया जा सकता है तो 30 बच्चों के लिए स्कूल चलाया क्यों नहीं जा सकता है. ये पीडीए के वंचित समाज को और भी वंचित करने का एक बड़ा षड्यंत्र है.
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें