विक्रम मिश्र, लखनऊ. महापौर सुषमा खर्कवाल और लखनऊ नगर निगम के नगर आयुक्त गौरव कुमार के बीच की शांति वार्ता का कोई खास असर नही पड़ा है. योगी सरकार में वरिष्ठ और वित्त मंत्री के साथ लखनऊ नगर प्रभारी सुरेश खन्ना ने मेयर और नगर आयुक्त के साथ सामंजस्य बनाने को लेकर मीटिंग किया था, लेकिन उनकी ये कोशिश नाकाम साबित हुई.
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मेयर ने जनहित की फाइल लौटाई
महापौर और नगर आयुक्त की आपसी खींचातानी में जनता और जनहित के मुद्दे पिस रहे हैं. सुषमा खर्कवाल ने नगर आयुक्त के द्वारा भेजी गई फाइल्स को लौटा दिया है. फाइल में जनता से जुड़े सभी मुद्दे थे. महापौर सुषमा खर्कवाल ने नगर आयुक्त द्वारा भेजी गई फाइल को ये कहकर वापस कर दिया कि फाइल को नगर आयुक्त लेकर नहीं आए, जबकि चपरासी द्वारा भेजा गया.
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महापौर ने कहा ये तौहीन है
नगर निगम लखनऊ महापौर सुषमा खर्कवाल ने भेजी गई फाइल पर जवाब देते हुए कहा कि इन फाइल में जो मुद्दे हैं, उस पर कोई चर्चा नहीं की गई. जबकि इसको लेकर कोई अधिकारी भी नहीं आया. इसलिए इस फाइल को लौटाया गया है.
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सदन बुलाने पर अड़ी महापौर
नगर आयुक्त और महापौर के बीच की अदावत इतनी हो चुकी है कि सुषमा खर्कवाल ने फिर से सदन बुलाने में मांग रख दी है. जबकि नगर आयुक्त गौरव कुमार ने कहा कि पिछले सदन में उठे मुद्दों को जबतक हल नही कर देते तबतक दूसरा सदन बुलाना नियम विरुद्ध है. अगर नए मुद्दों पर चर्चा करनी हो तभी सदन बुलाया जा सकता है. ऐसे में महापौर को नियम संगत बात करनी चाहिए. इसके अलावा नगर आयुक्त ने चेताया कि किसी भी फ़ाइल को महापौर 6 महीने से ज़्यादा नहीं रोक सकती हैं. इसीलिए उनको फाइल की सॉफ्ट कॉपी भी भेजी गई थी. तुम बड़े या मैं बड़ी के चक्कर मे जनता हलकान हो रही है.
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