विक्रम मिश्र, लखनऊ। उत्तर प्रदेश की सियासत में हुक्मरान तो व्यस्त है लेकिन उनके नीचे की लाइन में काम करने वाले कार्यकर्ता अब समय का करीब आने यानी 2027 के चुनाव की सुगबुगाहट आने से पहले अब सक्रिय हो गए है। मेल मुलाकात और गिफ्ट लेने और देने की प्रक्रिया अपने लय में चल रही है। हाल में आबादी के लिहाज से सूबे की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की मुलाकात जम्मू कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा से हुई। जिसके सियासी मायने भी खूब चर्चा में बने हुए है।
गाजीपुर में हुए कार्यो की सराहना
आपको बता दें कि मनोज सिन्हा उत्तर प्रदेश के गाजीपुर से आते है और मोदी कैबिनेट में कभी रेलवे के मुखिया रह चुके है। इनके तैकलीन मंत्री रहने के कार्यकाल में गाजीपुर में हुए कार्यो की सराहना मीडिया में चर्चा का विषय बनी हुई थी। उम्मीद थी कि 2019 के लोकसभा चुनाव में मनोज सिन्हा द्वारा किये कार्यो का उनको फायदा मिलेगा लेकिन जनता ने उनके कामो को नकारते हुए इंडी गठबंधन के साझा उम्मीदवार अफजाल अंसारी को सदन में भेज दिया था।
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योगी को ही मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला
इससे पहले की बात करे तो 2017 में जब पहली बार यूपी में भाजपा ने चुनाव जीत लिया और मुख्यमंत्री चयन की बात आई तो योगी आदित्यनाथ, केशव प्रसाद मौर्य के साथ मनोज सिन्हा भी रेस में शामिल रहे थे। लेकिन योगी को ही मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला। जिसपर की तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने विवाद भी खड़ा किया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री कार्यालय एनेक्सी के पंचम तल में तो नेमप्लेट तक तोड़ा और हटाया गया था। लेकिन कहते है न कि राजनीति में सितारे कभी भी पलट सकते है। यही कारण है कि लखनऊ से दिल्ली तक कि चरणवन्दना में सियासी सुरमा अपने आंकड़ों को दुरुस्त करने में लगे हुए है।
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आनंदिबेन पटेल प्रधानमंत्री का बहुत करीब
आपको बता दें कि आनंदिबेन पटेल को प्रधानमंत्री का बहुत करीब माना जाता है। यही कारण है कि उनका कार्यकाल पहले दो बार खत्म होने के बावजूद बदस्तूर जारी है। जबकि मनोज सिन्हा को एलजी जम्मू कश्मीर बनाकर भेजने के पीछे संगठन और पार्टी उभरते आक्रोश को थामना था लेकिन सभी सुरमा अब एक बार फिर यूपी की ओर रुख कर रहे है।
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मनोज सिन्हा के करीबी की माने तो उप राज्यपाल के पद पर मनोज सिन्हा बहुत खुश नही है क्योंकि जबतक जम्मू कश्मीर में कोई सरकार का गठन नही हुआ था तबतक सिंगल लीडरशिप की स्थिति से मनोज सिन्हा बहुत खुश थे लेकिन अब वहां पर सरकार का गठन हो चुका है ऐसे में जम्मू कश्मीर की हसीन वादियों में मनोज सिन्हा को मज़ा नही आ रहा है। सूत्रों की माने तो 27 के चुनाव से पहले मनोज सिन्हा अब यूपी आने को बेकरार है। और अगर उनका आगमन उत्तर प्रदेश में हो गया तोफिर से त्रिकोण सिद्धान्त का व्योम बनता है दिखाई दे सकता है।
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