मथुरा. सुप्रीम कोर्ट ने श्री बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर मामले में यूपी सरकार पर सवाल उठाए हैं. कोर्ट ने कहा कि दो निजी पक्षों की लड़ाई में राज्य क्यों कूदा? अगर ऐसा होता है तो ये कानून का ब्रेक डाउन है. मंगलवार को सुनवाई को दौरान SC ने यूपी सरकार से मंदिर कॉरिडोर को लेकर 26 मई के अध्यादेश की कॉपी और हलफनामा मांगा है. वहीं अब मामले की सुनवाई 29 जुलाई को होगी.
जस्टिस नागरत्ना ने टिप्पणी की कि यह कानून का पूरी तरह ब्रेक डाउन है. लेकिन SC ने यूपी सरकार को नए अध्यादेश के अनुसार कार्य करने की अनुमति दे दी है. सरकार ने कोर्ट को बताया कि इस अध्यादेश में एक ट्रस्ट को कॉरिडोर निर्माण की जिम्मेदारी दी गई है. साथ ही कोर्ट को भरोसा दिया गया कि सरकार इस फंड का इस्तेमाल नहीं करेगी.
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SC ने कहा कि अगर किसी को कोर्ट के फैसले से दिक्कत है तो उसे पुनर्विचार याचिका दाखिल करनी चाहिए न कि इस तरह की कोई याचिका दाखिल करनी चाहिए. सरकार ने कोर्ट को बताया कि मंदिर के प्रबंधन का पूरा जिम्मा ट्रस्ट को सौंपा गया है. इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं है. सरकार ने यह भी तर्क दिया कि मंदिर परिसर के चारों ओर तंग गलियां हैं. जहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती है और भगदड़ में मौतें भी हो चुकी हैं. ऐसे में कॉरिडोर बनाना आवश्यक है.
याचिकाकर्ता ने 600 करोड़ की इस परियोजना और मंदिर कोष से 500 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए जाने के आदेश का विरोध किया है. याचिकाकर्ता का कहना है कि मंदिर की निजी संपत्ति और फंड का इस्तेमाल सरकार कैसे कर सकती है. जबकि इस पूरे मामले में सेवायतों और मंदिर प्रबंधन समिति का पक्ष सुना ही नहीं गया. हाईकोर्ट ने उन्हें पक्षकार नहीं बनाया.
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