विक्रम मिश्र, लखनऊ. जून 1995 में कथित गेस्ट हाउस कांड (Guest house scandal) को लेकर मायावती ने एक तीर से दो निशाना साधने की कोशिश की है. मायावती ने इस विषय पर कांग्रेस को जमकर कोसा है. उन्होंने कहा कि मुझ पर हुए हमले के समय कांग्रेस की सरकार केंद्र में काबिज थी. बावजूद इसके कभी कांग्रेस खुलकर बसपा के लिए नहीं बोली. वहीं मायावती ने कहा कि तत्कालीन कांग्रेस की सरकार ने षणयंत्र करने की भी कोशिश की थी. जिसके तहत प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाकर पर्दे के पीछे से कांग्रेस अपनी सरकार चला सके. जिसको बसपा ने होने नहीं दिया था.

क्या था गेस्ट हाउस कांड?

साल 1993 में बीजेपी को सत्ता से बाहर करने के लिए तत्कालीन समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव और बीएसपी प्रमुख कांशीराम ने गठबंधन किया था. उस समय ही एक नारा भी बुलंद हुआ था-

मिले मुलायम- काशीराम
हवा में उड़ गए जय श्री राम

उस समय उत्तराखंड भी उत्तर प्रदेश का हिस्सा था और कुल सीट थीं 422 थी. मुलायम 256 सीट पर लड़े और बीएसपी को 164 सीट दी थीं. चुनाव में एसपी और बीएसपी गठबंधन जीता. एसपी को 109 और बीएसपी को 67 सीटें मिली थी. इसके बाद मुलायम सिंह यादव बीएसपी के समर्थन से मुख्यमंत्री बने. आपसी मनमुटाव के चलते 2 जून, 1995 को बसपा ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया. इस वजह से मुलायम सिंह की सरकार अल्पमत में आ गई. सरकार को बचाने के लिए समीकरण बनाने लगे. ऐसे में अंत में जब बात नहीं बनी तो नाराज सपा के कार्यकर्ता और विधायक लखनऊ के मीराबाई मार्ग स्थित स्टेट गेस्ट हाउस पहुंच गए. जहां मायावती कमरा नंबर-1 में ठहरी हुई थीं. 2 जून 1995 के दिन उत्तर प्रदेश की राजनीति में जो हुआ वह शायद ही कहीं हुआ होगा. मायावती पर गेस्ट हाउस के कमरा नंबर एक में हमला हुआ था.

2 जून 1995 को मायावती लखनऊ के स्टेट गेस्ट हाउस के कमरा नंबर एक में अपने विधायकों के साथ बैठक कर रही थीं. तभी दोपहर करीब तीन बजे कथित समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं की भीड़ ने अचानक गेस्ट हाउस पर हमला बोल दिया. कांशीराम के बाद बीएसपी में दूसरे नंबर की नेता मायावती उस वक्त को जिंदगी भर नहीं भूल सकतीं. उस दिन समाजवादी पार्टी के विधायकों और समर्थकों की उन्मादी भीड़ सबक सिखाने के नाम पर दलित नेता की आबरू पर हमला और जान लेने पर आमादा थी. इस घटना के अगले दिन भाजपा, कांग्रेस, जनता दल और कम्युनिस्ट पार्टी के समर्थन से मायावती उत्तर प्रदेश की पहली दलित महिला मुख्यमंत्री बन गईं थी.

मायावती का संदेश दूरगामी प्रभाव

गेस्ट हाउस कांड पर भाजपा के द्वारा मायावती की आबरू और जान माल की सुरक्षा करने पर बसपा अध्यक्ष ने उनका धन्यवाद ज्ञापित किया है. जबकि इसी विषय को लेकर कांग्रेस को आड़े हाथों लिया है. मायावती का भी मसौदा साफ है कि प्रदेश की राजनीति को अब दिल्ली के हिसाब से ही मोहरे सेट करने होंगे.

संविधान बचाओ और जाति जनगणना पर तंज

राहुल गांधी के प्रयागराज में दिए गए बयान पर मायावती ने उनको घेरने की कोशिश की है. मायावती ने आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस के उदासीन रुख पर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने जाति जनगणना पर कांग्रेस की सरकारों के समय कुछ नहीं करने का भी आरोप लगाया है. उन्होंने आरक्षण के वर्गीकरण पर कांग्रेस नेता की तरफ से कोई बयान नहीं देने पर भी गहरी चिंता व्यक्त की है.