मिर्जापुर. सीएम योगी जीरो टॉलरेंस की नीति और बेहतर कानून व्यवस्था के लाख दावे करते हैं, लेकिन उनका दावा झूठा औऱ बेबुनियाद साबित हो रहा है. योगी सरकार का सिस्टम न्याय देने के लिए भी घूस की डिमांड करता है. कानून के रखवाले अब वसूली भाई की भूमिका में नजर आ रहे हैं. ऐसा ही एक मामला सामने आया है. जहां एक SHO ने रेप पीड़िता की शिकायत दर्ज करने के लिए 30 हजार रुपये की रिश्वत मांगी. योगी सरकार के सिस्टम की पोल तब खुली, जब एंटी करप्शन की टीम ने SHO को रिश्वत लेते रंगेहाथ गिरफ्तार किया. गिरफ्तारी के बाद सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या यूपी में न्याय बिना पैसे के नहीं मिलेगा? क्या जो पैसा देगा वही न्याय का हकदार है. अगर ऐसा है तो योगी सरकार और सिस्टम में ऊंचे औदे में बैठे लोगों को आत्ममंथन करने की सख्त जरूरत है.

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बता दें कि पूरा मामला चील्ह थाने का है. जहां रेप पीड़िता और उसके पिता केस दर्ज कराने के लिए पहुंचे थे. लेकिन वहां तैनात SHO शिवशंकर सिंह ने एफआईआर दर्ज करने के एवज में 30 हजार रुपए की घूस मांगी. जिसके बाद मामले की शिकायत एंटी करप्शन को दी गई और ACO की टीम ने जाल बिछाकर SHO शिवशंकर सिंह को रिश्वत लेते रंगेहाथ धरदबोचा. जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

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वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि एंटी करप्शन की टीम एसएचओ को घसीटकर अपनी गाड़ी में बैठा रही है और रिश्वतखोर SHO गिड़गिड़ा रहा है. साथ ही यह भी कह रहा है कि पैसे वापस कर दूंगा. इससे न सिर्फ रेप पीड़िता का कानून पर से भरोषा उठा है, बल्कि उन तमाम लोगों का भरोषा उठा है, जो कानून पर भरोषा रखते थे. इस मामले के बाद कई गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं. सवाल ये कि अगर कानून के रक्षक ही दलाली करने में उतर आएंगे तो जनता को न्याय कौन दिलाएगा?

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सवाल सिर्फ एक घूसखोर पुलिसकर्मी पर नहीं उठ रहा, सवाल सिस्टम पर भी उठ रहा है कि लगातार घूसखोरी के मामले आने के बाद भी आला अधिकारी क्या खाक छान रहे हैं? अगर सिस्टम उनसे नहीं चल पा रहा तो अपना पद त्याग दें, ताकि प्रदेश की कानून व्यवस्था पर लोगों का भरोषा बना रहे. इस बात पर सरकार को भी मंथन करने की जरूरत है, क्योंकि दावों औऱ हकीकत में जमीन आसमान का अंतर है.

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