नोएडा. भारत सरकार द्वारा लोगों, वस्तुओं और हवाई, रेल व सड़क संपर्क को एकीकृत और सुव्यवस्थित करने के लिए किए गए प्रयासों के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां एक हवाईअड्डे की आधारशिला रखी, जो दुनिया का चौथा सबसे बड़ा अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा होगा. उत्तर प्रदेश के जेवर में बन रहा हवाईअड्डा (नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा) सभी अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों का संचालन करेगा और हाल के वर्षो में इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे पर बोझ को कम करेगा.
बोझ को कम करने और बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करने के अलावा, परियोजना से निवेश (विदेशी और घरेलू दोनों) के साथ-साथ व्यापक रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे. परियोजना के पहले चरण के निर्माण के लिए 5,000 करोड़ रुपए से अधिक के आवंटन के साथ, लगभग 3,000 एकड़ के संचित क्षेत्र में एक लाख से अधिक रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में रहने वालों के लिए एक महत्वपूर्ण लाभ के रूप में स्थानीय उत्पादों के और अधिक प्रतिस्पर्धी बनने की उम्मीद है, क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय बाजारों तक पहुंच स्वाभाविक रूप से आसान हो जाएगी, जिससे दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, अलीगढ़, आगरा, फरीदाबाद व आसपास के अन्य शहरों में रहने वाले करोड़ों लोगों को भी लाभ होगा.
इसके अलावा, यह उम्मीद की जाती है कि वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक्स में लगने वाले समय में काफी कमी आएगी, साथ ही एक एकीकृत मल्टीमॉडल कार्गो हब की अवधारणा की शुरुआत के साथ काफी समय की बचत होगी. चूंकि हवाईअड्डा टर्मिनल के निकट भविष्य में हर साल 1.5 करोड़ से अधिक यात्रियों के आने की उम्मीद है, कार्गो हब सुचारु व्यापार और संचालन की सुविधा में सहायता करेगा. नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे के साथ उत्तर प्रदेश, भारत में पांच कार्यशील हवाईअड्डों वाला एकमात्र राज्य बन जाएगा. उत्तर भारत का प्रवेशद्वार बनने का मार्ग प्रशस्त करते हुए हवाईअड्डा भारत के कुछ हिस्सों में व्यापार के साथ-साथ पर्यटन की सुविधा प्रदान करने में सक्षम होगा. इसका लक्ष्य सितंबर, 2024 तक हवाईअड्डे से पहली उड़ान के समय तक जुड़ना है.