प्रयागराज. उत्तर प्रदेश में लाश ही लाश दिखाई दे रही हैं. कहीं गंगा नदी में तैरते हुए सैकड़ों शव देखे जा रहे हैं तो कहीं नदी किनारे रेत में सैकड़ों लाशें दबी मिल रही हैं. जगह-जगह लाश मिलने का सिलसिला जारी है. उन्नाव, कन्नौज, कानपुर और रायबरेली के बाद अब संगम नगरी प्रयागराज में भी गंगा नदी के किनारे शवों को रेत में दफनाए जाने का हैरान करने वाला मामला सामने आया है.
गंगा के किनारे बीते करीब डेढ़ महीने में सैकड़ाें शवों को नदी के किनारे रेत में दफन कर दिया गया है. इसके साथ ही अभी भी शवों को रेत में दफनाए जाने का सिलसिला जारी है. शवों को दफन कर चारों ओर बांस की घेराबंदी कर दी गई है. ताकि लोगों को पता चल सके कि यहां पर शव को दफन किया गया है. हालांकि हिंदू धर्म में शवों के दाह संस्कार की ही परंपरा है. फिर भी लोग मजबूर होकर शव को दफनाने के लिए मजबूर है, लेकिन उनको जमीन भी नसीब नहीं हो पा रही है. इसलिए लाशों को नदी किनारे रेत में ही दबा दे रहे हैं.
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लगातार रूह कपा देने वाली तस्वीरें सामने आ रही हैं. श्रृंगवेरपुर धाम में प्रयागराज के अलावा प्रतापगढ़, सुल्तानपुर और फैजाबाद जिलों के शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है. यहां पर प्रतिदिन 50 से 60 शवों का दाह संस्कार किया जाता था. लेकिन अप्रैल माह में जब कोविड से मौतों के आंकड़े बढ़े तो श्रृंगवेरपुर घाट पर हर दिन सैकड़ों की संख्या में शवों के आने का सिलसिला शुरू हो गया. जिससे श्रृंगवेरपुर घाट पर दाह संस्कार के लिए लकड़ियों की भारी कमी हो गई और लकड़ी ठेकेदारों ने भी लोगों से दाह संस्कार के लिए ज्यादा पैसे वसूलने शुरू कर दिए. जिसके बाद लोगों ने मजबूरी में दाह संस्कार के बजाय शवों को दफनाना शुरू कर दिया. अब यह सिलसिला शासन-प्रशासन की रोक के बाद भी जारी है.
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