प्रयागराज। उत्तर प्रदेश में लाए गए धर्मांतरण अध्यादेश को  विधानसभा और विधान परिषद के बाद गवर्नर से मंजूरी मिल गई है. कानून का नोटिफिकेशन सरकार ने जारी किया है. 4 मार्च को राजभवन से मंजूरी मिली थी. 5 मार्च को गजट नोटिफिकेशन जारी हो चुका है. प्रदेश में अब धर्मांतरण अध्यादेश कानून बन गया है.

विधानसभा और विधान परिषद से बिल पास होने के बाद न सिर्फ गवर्नर ने इसे मंजूरी दे दी है, बल्कि सरकार ने इस कानून का गजट नोटिफिकेशन भी कर दिया है. नोटिफिकेशन होने के साथ ही यह कानून यूपी में लागू हो गया है. हालांकि, इसकी वैधता पिछले साल 27 नवंबर से ही मानी जाएगी. उसी दिन अध्यादेश लागू किया गया था. अध्यादेश के कानून बनने और इसके अमल में आने की जानकारी यूपी सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में दी.

सरकार की तरफ से एडिशनल एडवोकेट जनरल मनीष गोयल ने कोर्ट को बताया कि विधानमंडल के दोनों सदनों से बिल पास होने के बाद चार मार्च को गवर्नर ने इसे मंजूरी दे दी थी. इसके बाद पांच मार्च को इसका नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया. सरकार ने नोटिफिकेशन की कॉपी भी कोर्ट में पेश की और दावा किया कि अध्यादेश में कई तरह के बदलाव करने के बाद ही अधिनियम यानी नया कानून तैयार किया गया है. मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा की डिवीजन बेंच में हुई. अध्यादेश को चुनौती देने वाली अर्जियों पर हाईकोर्ट अब 6 अप्रैल को सुनवाई करेगा.

योगी सरकार पिछले साल 27 नवंबर को मनमाने तरीके से हो रहे धर्मांतरण को रोकने के लिए जो अध्यादेश लेकर आई थी, उसके खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में कई अर्जियां दाखिल की गई थीं. इन अर्जियों पर सुनवाई करते हुए अदालत ने यूपी सरकार से जवाब तलब कर लिया था. सरकार ने जनवरी के पहले हफ्ते में ही अपना जवाब भी दाखिल कर दिया था. इस बीच विधानसभा का सत्र शुरू होने पर सरकार सदन में बिल ले आई. दोनों सदनों से बिल पास होने और गवर्नर की मंजूरी मिलने के बाद अब यह कानून की शक्ल ले चुका है.

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