Padmashree Prof. Ramdarsh Mishra Passes Away: वरिष्ठ कवि, आलोचक और उपन्यासकार, पद्मश्री प्रो. रामदरश मिश्र का निधन हो गया। वे सक्रिय जीवन जीते हुए 101 वर्ष की आयु पूर्ण करने वाले ऐसे विरल साहित्य योद्धा थे। जिन्होंने अपनी लंबी साहित्यिक यात्रा बिना किसी खेमेबाजी के अपने बलबूते सम्मानजनक ढंग से पूरी की। रामदरश मिश्र मूल रूप से गोरखपुर के रहने वाले थे।
सीएम योगी ने दी श्रद्धांजलि
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मिश्र के निधन पर श्रद्धांजलि अर्पित की है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हिंदी के प्रख्यात साहित्यकार प्रोफेसर रामदरश मिश्र का निधन साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। वह अपनी कृतियों के माध्यम से सदैव लोगों के मन में जीवित रहेंगे।
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डुमरी गांव में हुआ था जन्म
पद्मश्री प्रो. रामदरश मिश्र का जन्म 15 अगस्त1924 में गोरखपुर (उ.प्र.) के कछारांचल के डुमरी गांव में हुआ था। डॉ. रामदरश की रचनाओं में उनके गांव की सोंधी मिट्टी की महक रची बसी है। उच्च शिक्षा बनारस से पूर्ण करने के बाद महाराष्ट्र, गुजरात के विश्व विद्यालयों से होते हुए 1964 में दिल्ली विश्व विद्यालय में प्रोफेसर हुए और वहीं बस गए।
हिंदी साहित्य में कवि , कथाकार , उपन्यासकार, संस्मरण लेखक और समालोचक के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त करने वाले प्रो. मिश्र अनेक प्रतिष्ठित सम्मान और पुरस्कारों से नवाजे गए। जनवरी 1925 में उन्हें भारत सरकार ने पद्मश्री सम्मान प्रदान किया ।
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प्रो. रामदरश मिश्र की कृतियां
काव्य: पथ के गीत, कंधे पर सूरज, दिन एक नदी बन गया, बाजार को निकले हैं लोग
उपन्यास: पानी के प्राचीर, जल टूटता हुआ, सूखता हुआ तालाब, अपने लोग, रात का सफर
कहानी संग्रह: खाली घर, दिनचर्या, सर्पदंश, बसंत का एक दिन
आत्मकथा: सहचर है समय
डायरी: आते-जाते दिन, विश्वास जिंदा है
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