रविंद्र कुमार भारद्वाज, रायबरेली. रायबरेली संसदीय क्षेत्र, जहां से लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी सांसद हैं, वहां की जनता अपने सांसद के प्रतिनिधि को लेकर असमंजस में है. किशोरी लाल शर्मा, जो अमेठी से कांग्रेस सांसद हैं, उन्हें राहुल गांधी का प्रतिनिधि बताया जाता है. सवाल यह है कि एक सांसद होने के नाते शर्मा अपने संसदीय क्षेत्र अमेठी के कामकाज देखेंगे या रायबरेली में राहुल गांधी के प्रतिनिधि की भूमिका निभाएंगे? रायबरेली की जनता में भ्रम है, क्योंकि उनके दुख-दर्द और रोजमर्रा की समस्याओं को सुनने के लिए कोई स्थानीय और आधिकारिक प्रतिनिधि उपलब्ध नहीं है. राहुल गांधी के दौरे महीने में एक-दो बार या कई महीनों के अंतराल में होते हैं, जिससे जनता अपने कामकाज के लिए परेशान है. सवाल है कि हम जाएं तो जाएं कहां?

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प्रतिनिधि की भूमिका पर भ्रम

रायबरेली में किशोरी लाल शर्मा को राहुल गांधी का प्रतिनिधि माना जाता है, लेकिन उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी अमेठी के सांसद के रूप में अपने क्षेत्र की जनता की सेवा करना है. स्थानीय निवासी शिव कुमार कहते हैं, “शर्मा जी अमेठी के सांसद हैं, वे वहां के काम संभालते हैं. रायबरेली में हमारे लिए कोई जिम्मेदार व्यक्ति नहीं है जो हमारी समस्याएं सुने. राहुल जी दिल्ली में रहते हैं, और यहां कोई ठोस व्यवस्था नहीं है.” पहले भी एक लेटर सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें राहुल गांधी के प्रतिनिधि की नियुक्ति का दावा किया गया, लेकिन कांग्रेस ने इसे फर्जी बताया. इस तरह की घटनाएं जनता के बीच भ्रम और निराशा को और बढ़ा रही हैं.

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हमें चाहिए स्थानीय प्रतिनिधि

रायबरेली की जनता सड़क, बिजली, पानी, सरकारी योजनाओं में सहायता, और अन्य समस्याओं के समाधान के लिए सांसद या उनके प्रतिनिधि से संपर्क करना चाहती है, लेकिन राहुल गांधी की सीमित उपस्थिति और शर्मा की अमेठी-केंद्रित जिम्मेदारियों के कारण लोग परेशान हैं. स्थानीय लोगों ने कहा, “राहुल जी कभी-कभी आते हैं, लेकिन रोज की समस्याएं तो रोज होती हैं. शर्मा जी अमेठी में व्यस्त हैं. हमें रायबरेली में कोई ऐसा चाहिए, जो हमारा दर्द समझे और यहीं रहे.” स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ता भी मानते हैं कि सांसद के अनियमित दौरे और स्पष्ट प्रतिनिधि की अनुपस्थिति से जनता के काम प्रभावित हो रहे हैं.

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PDA की राजनीति और प्रतिनिधि की नियुक्ति

राहुल गांधी ने अपनी राजनीति में PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) के मुद्दे को प्रमुखता दी है. ऐसे में रायबरेली में उनके प्रतिनिधि की नियुक्ति को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि क्या वे किसी दलित या पिछड़े वर्ग से स्थानीय व्यक्ति को यह जिम्मेदारी देंगे, या कोई सवर्ण चेहरा चुना जाएगा. सामाजिक कार्यकर्त्ता विजय विद्रोही कहते हैं, “राहुल की PDA रणनीति को देखते हुए दलित या पिछड़े वर्ग से स्थानीय प्रतिनिधि की नियुक्ति सामाजिक समावेश को बढ़ावा दे सकती है, लेकिन रायबरेली में कांग्रेस का सवर्ण और अल्पसंख्यक वोट बैंक भी मजबूत है, इसलिए सवर्ण प्रतिनिधि की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.”

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समाजवादी नेता अखिलेश माही कहते है कि रायबरेली की जनता राहुल गांधी से मांग कर रही है कि वे एक स्थानीय, सक्रिय, और आधिकारिक प्रतिनिधि नियुक्त करें, जो उनकी समस्याओं को नियमित रूप से सुने और समाधान कराए. किशोरी लाल शर्मा की अमेठी में सांसद के रूप में व्यस्तता को देखते हुए, रायबरेली में एक अलग प्रतिनिधि की जरूरत महसूस की जा रही है. यह प्रतिनिधि दलित, पिछड़ा, सवर्ण, या अल्पसंख्यक कोई भी हो, जनता की एकमात्र शर्त है कि वह रायबरेली में उपलब्ध रहे. राहुल गांधी की PDA नीति और सामाजिक न्याय की बातें तभी सार्थक होंगी, जब जनता को स्थानीय स्तर पर उनकी मौजूदगी का अहसास हो.