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विक्रम मिश्र, लखनऊ. आज 8 नवंबर ये तारीख देश में एक बड़े फैसले और बदलाव की गवाह है. दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 साल पहले 8 नवंबर 2016 को देश में नोटबंदी का ऐलान किया था. इसके बाद उसी दिन आधी रात से 500 और 1000 के नोट का चलन भारत में बैन हो गया और ये चलन से बाहर कर दिए गए थे. सरकार के इस फैसले से देश में काफी उथल-पुथल मची, लेकिन फिर नए नोट करेंसी मार्केट का हिस्सा बने.
चलन में आए 2000, 500 और 200 के नए नोट
भले ही देश में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले 500 और 1000 रुपये के नोट एकाएक चलन से बाहर हो गए, उनकी जगह 2000, 500 और 200 के नए नोटों ने ले ली. शुरुआती दौर में थोड़ी शिथिलता के बाद देश में नोटों का चलन साल-दर-साल फिर से बढ़ता ही गया है. नोटबंदी के सात साल के बाद भी देश में करेंसी नोटों के चलन में खासी तेजी देखने को मिल रही है. अब देश में कैश सर्कुलेशन करीब 72 फीसदी बढ़ चुका है. हालांकि, नोटबंदी जैसे फैसलों से लगे झटके से उबारने में डिजिटल पेमेंट या कैशलेस पेमेंट में भी खासी तेजी आई है, जो कोरोना काल से और भी बढ़ा है.
फैसले के बाद मची थी अफरा-तफरी
8 नवंबर 2016 में नोटबंदी के बाद अगले कई महीनों तक देश में काफी अफरा-तफरी का माहौल बना रहा था. लोगों को पुराने नोट जमा करने और नए नोट हासिल करने के लिए बैंकों में लंबी लाइनों में लगना पड़ा. ऐसा भी कहा गया कि सरकार के इस बड़े फैसले से देश में काला धन खत्म होगा और नकदी का चलन कम होगा. इसका कारण ये था कि कैश सर्कुलेशन में सबसे अहम रोल बैन किए गए 500 और 1000 रुपये के नोटों का ही था, नोटबंदी के ऐलान के बाद ऐसे भी कई मामले सामने आए थे कि करोड़ों की ऐसी राशि जिनमें चलन से बाहर किए गए ये नोट शामिल थे, कभी कूड़े में तो कभी नदी में बहते हुए दिखे.
कैश में आई थी कमी, अब फिर बना किंग
ताजा आंकड़ों को देखें तो नोटबंदी के बाद से अब तक देश में कैश सर्कुलेशन 71.84 फीसदी बढ़ चुका है. 8 नवंबर 2016 को जब नोटबंदी की घोषणा की गई थी, उस समय 4 नवंबर 2016 को देश में 17.7 लाख करोड़ रुपये का कैश मौजूद था. जबकि साल 2021 में अक्टूबर के अंत तक (29 अक्टूबर 2021) यह बढ़कर 29.17 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया था. यानी साल 2021 में नोट के सर्कुलेशन में करीब 64 फीसदी की बढ़त हुई थी, जो छठे साल में बढ़कर करीब 72 फीसदी तक पहुंच गई है.
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