वाराणसी. देश की जिस नदी को सबसे पवित्र मानी जाती थी. अब यह गंगा नदी पूरी तरह से मैली हो गई है. इसके जल का रंग हरा हो गया है. बताया जा रहा है कि कोरोना काल में लोग अंतिम संस्कार की व्यवस्था नहीं हो पाने पर मजबूर होकर नदी में शवों को बहा रहे हैं तो कई लोग लाशों को नदी के तट पर दफना रहे हैं. अब गंगा नदी पूरी तरह से प्रदूषित हो गई है. प्रदूषण इसको लेकर अब बनारस हिंदू विश्वविद्यालय शोध करेंगे.

गंगा का जल अब हरे रंग का हो गया है. जो कोरोना काल में शवों की दुर्गति से हुए भीषण प्रदूषण की तरफ इशारा कर रहा है. कानपुर से लेकर बनारस तक और आगे कई जनपदों में गंगा की धारा में बड़ी संख्या में शव तैरते नजर आए थे. इसके अतिरिक्त यहां सीवेज, फैक्ट्रियों का केमिकलयुक्त पानी, गंदा पानी व अन्य कई नाले गिरने से भी भीषण प्रदूषण होता है. इसके साथ ही गंगा की जलधारा में पानी का प्रवाह कम होने से नीली हरी शैवाल अपना कब्जा जमा लेती है.

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प्रथम दृष्टया इसका कारण धारा का प्रवाह कम होना माना जा रहा है. लेकिन वास्तविक कारणों का पता लगाने के लिए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और शोधार्थी अब इस पर शोध करेंगे. रिसर्च करके गंगा जल का रंग बदलने के कारणों का पता लगाएंगे.

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