प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कासगंज जिले के एक मामले में दो आरोपियों पर निचली अदालत द्वारा लगाए गए आरोपों में संशोधन का आदेश दिया है. हाईकोर्ट ने कहा कि स्तनों (ब्रेस्ट) को पकड़ना, पाजामे का नाड़ा तोड़ना और पीड़िता को पुलिया के नीचे खींचने का प्रयास करना बलात्कार या बलात्कार के प्रयास के आरोप लगाने के लिए पर्याप्त नहीं है.

मामला 2021 का है, जब दो आरोपियों- पवन और आकाश पर एक नाबालिग लड़की के साथ रेप की कोशिश करने का आरोप लगाया गया था. पीड़िता ने बताया कि आरोपियों ने उसे लिफ्ट देने के बहाने रोका और जबरन हमला करने की कोशिश की, लेकिन कुछ राहगीरों के आ जाने से वे मौके से फरार हो गए. परिजनों की शिकायत के आधार पर पुलिस ने मामला दर्ज किया था।

निचली अदालत ने आरोपियों के खिलाफ IPC की धारा 376 (बलात्कार) और POCSO अधिनियम की धारा 18 (रेप का प्रयास) के तहत मुकदमा दर्ज कर उन्हें समन जारी किया था. लेकिन आरोपियों ने इस समन को हाईकोर्ट में चुनौती दी.

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ‘अपराध की तैयारी’ और ‘अपराध करने के प्रयास’ में अंतर होता है. कोर्ट ने माना कि जो आरोप लगाए गए हैं, वे गंभीर हैं, लेकिन रेप के प्रयास की धारा को लगाए जाने के लिए पर्याप्त नहीं हैं. अदालत ने इस आधार पर आरोपों में संशोधन करने के निर्देश दिए.

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