विक्रम मिश्र, प्रयागराज. महाकुंभ में व्यवस्थाओं को चाकचौबंद करने पर ज़ोर दिया जा रहा है, जबकि कई संत त्रिवेणी के तीर पर अपनी धुनि रामये बैठ गए हैं. ऐसे में नाथ सम्प्रदाय के तत्वाधान में योगी महासभा द्वारा संचालित एक मठ की भी आधारशिला रखी गई है. जहां पर 1 हज़ार संत समागम कर रहे हैं. जब लल्लूराम डॉट कॉम की टीम इस मठ में दाखिल हुई तो एक योगी सेवक से मुलाकात हुई और उन्होंने समुद्र मंथन की कथा के साथ अमृत की सुरक्षा के लिए किए गए व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी दी.

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कुम्भ और महाकुम्भ में क्या है अंतर

हर 12 साल पर कुम्भ मनाया जाता है. वहीं जब 12 कुम्भ इकट्ठे हो जाते है तो आता है महाकुम्भ का सुअवसर. जी हां 144 सालों के बाद ये सुनहरा अवसर बना हुआ है. जहां पर संत अपनी अपनी कुटिया में बैठकर रामधुन और हर-हर महादेव के जयकारों के बीच अपने पूजन अनुष्ठान को कर रहे हैं. ऐसे में हरियाणा के भिवानी मुनाल के रहने वाले योगी सेवक कपिल शर्मा ने महाकुम्भ की पौराणिक कथा पर अपनी राय साझा किया.

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बता दें कि 13 जनवरी यानी कल से महाकुंभ का शुभारंभ होने जा रहा है. आस्था की नगरी प्रयागराज 12 साल बाद महाकुंभ 2025 के लिए पूरी तरह तैयार है. देश के कोने-कोने से साधु-संतों का यहां पर पहुंचना जारी है. महाकुंभ को लेकर सारी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. अब बस चंद घंटे बाद सुर्योदय के साथ ही आस्था, परंपरा और संस्कृति के संगम का पर्व शुरु हो जाएगा.