विक्रम मिश्र, लखनऊ। राज्य सरकार की तरफ से जेपीएनाइसी को लखनऊ विकास प्राधिकरण को देने की तैयारियां चल रही है। जिससे कि इसको ढंग से संचालित किया जा सके। कभी लखनऊ की शान कहे जाने वाले प्रोजेक्ट जेपीएनाइसी को लखनऊ के लोगों ने बनते और फिलहाल उसकी बदहाली को देखा है।

आपको बताते है कितने खर्च हुए

जेपीएनाइसी प्रोजेक्ट 2013 में तत्कालीन सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट था। उस समय सूबे के मुख्यमंत्री रहे अखिलेश यादव ने इस प्रोजेक्ट के लिए अपना खजाना खोल दिया था। 2013 में शुरू हुए इस प्रोजेक्ट को 265.58 करोड़ रुपयों की लागत से शुरू किया था। जबकि इतने पैसो में कार्य ढंग से नहीं हो पाने के कारण बीच बीच मे बजट टॉपअप भी किया गया। जिससे कि 2016 तक आते आते इस जेपीएनाइसी कि लागत 865 करोड़ रुपयों तक पहुच गई थी। रखरखाव के अभाव में ये बिल्डिंग अब जर्जर हो चुकी है। इनके रखरखाव के लिए साल 2023 में लखनऊ विकास प्राधिकरण ने लगभग 61 करोड़ रुपयों की मांग सरकार से की जो तब से अब धीरे धीरे लगभग 145 करोड़ रुपयों तक पहुच गई है।

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सड़क पर उगी घनी झाडियां

जेपीएनाइसी के भीतर तक जाने के लिए कोबाल स्टोन की सड़क बनाई गई थी। जिसपर अब घनी झाड़ियां उग आई है। साथ ही दीवारों के प्लास्टर झड़ गए है। महंगे विदेशी उपकरणों को इसमें लगाया गया था जो कि रखरखाव के अभाव एवं सुरक्षा नही होने के कारण अब चलने योग्य नही बचे है। आल टाइम वेदर ओलंपिक साइज पूल अब वीरान और कबाड़ सा नज़र आता है। अब 8 साल बाद सरकार ने इसकी सुध ली है। जिसको की अब संचालित करवाने हेतु लखनऊ विकास प्राधिकरण को कार्यदाई संस्था के तौर पर चुना गया है।

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आपको बता दें कि इससे पहले तक इस सेंटर का प्रयोग महज़ सियासी रस्साकशी के लिए ही होता देखा गया है। जिसमे सपा मुखिया जय प्रकाश नारायण के जन्मदिवस के दिन उनकी प्रतिमा का माल्यार्पण करने जाते थे। और वर्तमान सरकार उनको रोकने के लिए प्रशासन का प्रयोग करती थी। किंतु अब उम्मीद है कि जेपीएनाइसी जनता के लिए खुल जाए।