चित्रकूट. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी बुधवार को चित्रकूट पहुंचीं. ‘लड़की हूं-लड़ सकती हूं’ के तहत प्रियंका गांधी ने महिलाओं से संवाद किया. उन्होंने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि हर महिला अपने जीवन में संघर्ष करती है और लड़ती है. यह हम सैकड़ों साल से देख रहे हैं. अपने समय में रानी लक्ष्मीबाई अपने हक के लिए और अपने देश के लिए लड़ी. आज जब आप खेतों में काम करती हैं, फैक्ट्री में काम करती हैं, घर का काम करती है और पाठशाला में पढ़ाती हैं.

प्रियंका गांधी ने कहा कि आंगनबाड़ी की बहने आशा बहू हैं, शिक्षामित्र बहने हैं, डॉक्टर हैं, नर्स हैं और अधिवक्ता हैं, आप सब एक तरीके से अपने लिए लड़ रही हैं. यह दिखा रही हैं कि आप मजबूत हैं. आप कुछ करके दिखा सकते हैं. आज प्रदेश की स्थिति बहुत खराब है. कुछ दिनों पहले मैं ललितपुर गई थी. मैंने सुना कि कुछ किसानों ने खाद की लाइन में लगे लगे अपना दम तोड़ दिया और कुछ किसानों ने आत्महत्या कर ली. किसान परिवार के घर गई, उनके घर में कुछ भी नहीं था. वह लाइन में इसलिए लगे कि अगर लाइन छूट जाएगी तो खाद नहीं मिलेगी. आज नहीं मिलेगी तो खेत में फसल अच्छी नहीं होगी तो यही सब संघर्ष करते हैं. उनकी मृत्यु हो गई. जब मैं उनकी बेटी से मिली तो घर लौटते वक्त मैंने सोचा कि जो भी हो सबसे मुश्किल तुम महिला को ही होती है. वह मां-बेटी अकेले-अकेले क्या करेगी, जो कमाने वाला था वह तो चला गया.

कांग्रेस महासचिव ने कहा कि समाज में चाहे कोई भी समस्या हो उसका बोझ महिला उठाती हैं. आप ही सोचिए ढाई सौ रुपए किलो सरसों का तेल मिल रहा है. हजार रुपए से ऊपर सिलेंडर मिल रहा है. सरकार ने यह सोच रखा है कि महिलाओं को कुछ तोहफे देकर महिलाओं के विवेक को पीछे कर देगी. महिला जब आगे बढ़ती है तो उस तरह की समस्याएं उसके सामने आती हैं, अभी जो हमारी बहने बात कर रही थी, उन लोगों ने बताया कि कितना संघर्ष किया यहां तक पहुंचने के लिए. यहां पानी की व्यवस्था नहीं है. एक-एक नल से 10-10 परिवार पानी ले रहे हैं.