रविन्द्र कुमार भारद्वाज, रायबरेली। केंद्र सरकार की तरफ से बुढ़ापे का सहारा माने जाने वाली पेंशन को अब ’नई पेंशन स्कीम’ (एनपीएस) की जगह पर ’यूनिफाइड पेंशन स्कीम’ (यूपीएस) के तौर पेश किया है. केंद्र सरकार का नोटिफिकेशन आने से पहले ही विरोध का बिगुल बज चुका है. कर्मचारी और परिषदीय शिक्षक इस पेंशन व्यवस्था के खिलाफ पूरी तरह से उतर आए हैं. कर्मचारियों की तरफ से दो सितंबर से अनवरत काली पट्टी बांधकर इस नई व्यवस्था का विरोध किया जा रहा है. बुधवार को डलमऊ और सतांव ब्लॉक संसाधन केंद्रों चल रही एफएलएम ट्रेनिंग के दौरान भी इस व्यवस्था का विरोध करते हुए सैकड़ों शिक्षकों ने काली पट्टी बांधकर यूपीएस गो बैक के नारे लगाए.

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टीचर्स इंप्लाइज वेलफेयर एसोसिएशन (अटेवा) डलमऊ ब्लॉक संयोजक प्रकाश यादव ने बताया कि यूपीएस भी एनपीएस की तरह कर्मचारी हित में नहीं है. कर्मचारियों के हित को लेकर लगातार संघर्ष जारी रहेगा. इस पेंशन व्यवस्था के जो लोग फायदे बता रहे हैं, वे सभी लोग खुद पुरानी पेंशन से अच्छादित है. अगर यह पेंशन व्यवस्था बेहतर है तो फिर वे सभी कर्मचारी नेता इस पेंशन को क्यों नहीं अपना रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को लेकर अटेवा के प्रदेश अध्यक्ष विजय बंधु और अन्य नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा है. जिसमें बताया कि किस तरह से एक करोड़ से ज्यादा शिक्षक, कर्मचारी-अधिकारी, बाजार आधारित और विसंगतिपूर्ण एनपीएस व्यवस्था के दुष्परिणाम का दंश झेल रहे हैं.

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सतांव ब्लॉक संयोजक अविनाश यादव ने प्रदेश अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री को बताया है कि कर्मचारी अपनी सेवानिवृत्ति के बाद इस व्यवस्था में अपने जीवन के गुजर बसर के लिए परेशान हैं. वजह एनपीएस में जो पेंशन दी जा रही थी. वह पर्याप्त नहीं थी. पूरे देश के कर्मचारी, केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवान, पुरानी पेंशन बहाली की मांग कर रहे थे. इस बीच केंद्र सरकार द्वारा पुरानी पेंशन बहाल न कर नई पेंशन योजना ’यूनिफाइड पेंशन स्कीम’ (यूपीएस) लाने की घोषणा कर दी गई. इसमें जो प्रावधान हैं, उन्हें लेकर कर्मियों में भारी रोष व्याप्त है. अभी तक यूपीएस से जो जानकारी प्राप्त हुई है, उसके अनुसार, एनपीएस से भी ज्यादा खराब है.

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इसमें शिक्षकों, कर्मचारियों और अधिकारियों को मिलने वाले बेसिक पे व डीए के वेतन का 10वां भाग, सरकार कटौती के नाम पर ले रही है. इस कटौती के जरिए जो राशि सरकार अपने पास रखेगी, वह कर्मचारियों को नहीं मिलेगी. पुरानी पेंशन व्यवस्था में यदि कोई कर्मचारी, स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले लेता है तो उसकी पेंशन, सेवानिवृत्ति की तिथि से शुरु कर दी जाती थी. लेकिन अब यूपीएस में उसे 60 वर्ष के बाद पेंशन देने की बात कही गई है. इसी तरह यूपीएस में बहुत सारी विसंगतियां हैं.