रविंद्र कुमार भारद्वाज. दहेज लेने-देने की कुप्रथा समाज के लिए कैंसर से कम नहीं है. जिसका अब तक पूरे तरीके से इलाज नहीं हो पाया है. ये कुप्रथा आज भी लोगों को दुख और दर्द देने का काम कर रही है. ऐसा ही एक मामला सामने आया है. जहां दहेज न मिलने पर दूल्हा बारात लेकर ही नहीं पहुंचा और शादी करने से इंकार कर दिया. जिसके बाद शादी घर की खुशियां सिसकियों में तब्दील हो गई.

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बता दें कि पूरा मामला शिवगढ़ थाना क्षेत्र के ग्राम पंचायत बैंती का है. जहां मंडप सजा था, जयमाल स्टेज तैयार था, रंग-बिरंगी लाइटों से घर जगमगा रहा था और भोजन के स्टॉल भी मेहमानों के लिए लगाए गए थे, लेकिन दहेज की मांग पूरी न होने पर वर पक्ष ने बारात लाने से इंकार कर दिया, जिससे सारी तैयारियां धरी की धरी रह गईं और घर में शहनाई की जगह सिसकियों की गूंज सुनाई दी.

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रात 8 बजे दूल्हन पक्ष ने वर पक्ष से संपर्क किया तो दूल्हे के पिता और बड़े भाई ने साफ कह दिया कि जब तक दहेज की मांग पूरी नहीं होगी, बारात नहीं आएगी. इस जवाब ने पूरे परिवार को स्तब्ध कर दिया. दूल्हन फफकते हुए कह रही थी, “क्या बेटी होना अभिशाप है? हमें नहीं पता था कि मम्मी-पापा को मेरी शादी के लिए इतनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी.”