रविंद्र कुमार भारद्वाज, रायबरेली. जिले की राजनीति में हाल ही में एक बड़ा उलटफेर देखने को मिला है, जब भाजपा के दो प्रमुख नेताओं ऊंचाहार विधायक डॉ. मनोज कुमार पांडेय और सदर विधायक अदिति सिंह ने मंच साझा किया. इस दृश्य ने जिले की राजनीतिक में भूचाल ला दिया है. दोनों नेताओं के परिवारों के बीच लंबे समय से चली आ रही दुश्मनी जगजाहिर है. विधायक डॉ. मनोज कुमार पांडेय के बड़े भाई राकेश पांडेय की हत्या का आरोप अदिति सिंह के पिता पूर्व विधायक अखिलेश सिंह पर लगा था, जिसके बाद जिले में कई खूनी संघर्ष हुए थे. इस तरह एक साथ मंच साझा करने से न केवल पुरानी दुश्मनियां भुला दी गईं, बल्कि राजनीतिक अफवाहों का बाजार भी गर्म हो गया. एक कार्यक्रम में दोनों की मंच पर तस्वीरें और उसके बाद बंद कमरे में हुई गुफ्तगू की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं, जिससे आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया.
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राकेश पांडेय के बेटे यश पांडेय ने इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए अपने चाचा डॉ. मनोज कुमार पांडेय पर गंभीर आरोप लगाए हैं. यश ने कहा कि ऊंचाहार विधायक किसी के नहीं होते, वे केवल अपने व्यक्तिगत फायदे और अवसर के लिए काम करते हैं. वे हमेशा अपनी सुरक्षा की दुहाई देकर राजनीतिक यात्रा को आगे बढ़ाते हैं, लेकिन परिवार या न्याय की कोई चिंता नहीं रखते. यश ने दर्दभरी आवाज में बताया कि उनके पिता राकेश पांडेय की हत्या के बाद सभी ने बंद कमरे में समझौता कर लिया था. इसी समझौते के कारण 23 वर्षों से उन्हें और उनकी मां को न्याय नहीं मिल पाया. न तो कोई जांच में तेजी आई और न ही किसी ने पारिवारिक स्तर पर कोई सहायता की. यश ने कहा कि पिता की मौत के बाद उनकी लाश पर ही राजनीति शुरू हो गई थी, जो किसी से छिपा नहीं है. परिवार को तमाम मुसीबतों का सामना करना पड़ा, लेकिन चाचा मनोज सहित किसी ने भी उनका साथ नहीं दिया.
यश पांडेय ने आगे कहा कि डॉ. मनोज पांडेय ने अपनी सफाई में मंच को एक मर्यादा बताया था, लेकिन अगर मंच पर पार्टी की मर्यादा बरती जाती है, तो फिर उसके बाद बंद कमरे में क्या हो रहा था? वहां हुई हंसी-ठिठोली कितनी उचित थी? यश का मानना है कि इस हंसी-मजाक के पीछे कोई गहरा राज छुपा हुआ है, जो रायबरेली और ऊंचाहार के जनमानस को अच्छी तरह पता है. उन्होंने कहा कि समय आने पर जनता इन नेताओं को जरूर सबक सिखाएगी.
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राकेश पांडेय हत्या कांड और पांडेय परिवार की राजनीति
राकेश पांडेय की हत्या 2002 में हुई थी, जब वे कांग्रेस के सक्रिय नेता थे. हत्या के बाद जिले में तनाव फैल गया था और कई अन्य लोगों की भी इस वर्चस्व वाली राजनीति और वसूलों के कारण हत्याएं हो चुकी हैं. राकेश के भाई डॉ. मनोज कुमार पांडेय ने ऊंचाहार विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर कई बार जीत हासिल की. 2017 और 2022 के विधानसभा चुनावों में वे सपा से विधायक बने, लेकिन 2024 में उन्होंने सपा छोड़कर भाजपा जॉइन कर ली. जहां गृहमंत्री अमित शाह ने उन्हें सदस्यता दिलाई.
राकेश पांडेय की हत्या के बाद परिवार में राजनीतिक विभाजन हो गया. मनोज सपा से जुड़े रहे, जबकि उनके छोटे भाई अनुराग पांडेय भाजपा से जुड़ गए. अदिति सिंह के परिवार (सिंह परिवार) के साथ पांडेय परिवार की दुश्मनी पुरानी है, जिसमें राजनीतिक वर्चस्व के मुद्दे शामिल हैं. अदिति सिंह 2019 से भाजपा की सदर विधायक हैं और उनके पिता अखिलेश सिंह पर राकेश हत्या का आरोप लगा था. हाल ही में 23 जून 2025 को सपा ने मनोज पांडेय सहित तीन बागी विधायकों गोसाईगंज के अभय सिंह, गौरीगंज के राकेश प्रताप सिंह और ऊंचाहार के मनोज पांडेय को पार्टी से निष्कासित कर दिया. कारण था 2024 के राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग करके भाजपा प्रत्याशी को जिताना. हालांकि, मनोज पहले ही भाजपा में शामिल हो चुके थे, लेकिन सपा ने औपचारिक रूप से उन्हें बाहर किया.
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29 अगस्त 2025 को एक कार्यक्रम में मनोज पांडेय और अदिति सिंह के मंच साझा करने की तस्वीरें सामने आईं, जहां मनोज ने अदिति को सम्मानित भी किया. यह दुश्मनी भूलकर हाथ मिलाने जैसा था, जिससे जिले के एक खेमे को बड़ा झटका लगा. सोशल मीडिया पर यह खबर वायरल हो गई और यश पांडेय की प्रतिक्रिया ने आग में घी डाल दिया. लोग अब पुराने समझौते, हत्याकांड और वर्तमान राजनीतिक गठजोड़ पर सवाल उठा रहे हैं.
यश पांडेय का संघर्ष और न्याय की मांग
यश पांडेय ने बताया कि 23 सालों में न तो कोई मदद मिली और न ही न्याय. वे कहते हैं कि बंद कमरे के समझौते ने सब कुछ दबा दिया. राकेश हत्या कांड की जांच आज भी अधर में लटकी हुई है . यश ने अपील की कि जनता को सच्चाई पता है और वे राजनीति से न्याय की उम्मीद छोड़ चुके हैं, लेकिन जनता का फैसला अंतिम होगा.
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