रविंद्र कुमार भारद्वाज, रायबरेली. सांसद राहुल गांधी का संसदीय क्षेत्र बदहाली के आंसू रो रहा है, लेकिन उन आंसुओं को पोछने वाले नेता दिल्ली में राजनीति करने में मस्त हैं. कभी कांग्रेस नेता ने विकास के मुद्दे पर रायबरेली के लोगों से वोट मांगा था. लेकिन जीत हासिल करने के बाद मानों विकास कहीं खो गया है और उस विकास की तलाश करने की जहमत सांसद महोदय उठा भी नहीं रहे. आलम ये है कि लोग सड़क के बड़े-बड़े गड्ढे में विकास की खोज कर रहे हैं. विकास की खोज में निकले लोगों को जब गड्ढों में विकास नहीं मिला तो अवसर का फायदा उठाते हुए खेत में तब्दील हुई सड़कों में धान की रोपाई कर दी. अब सवाल ये उठ रहा है कि खेत में जब धान लहलहाएगी तो उसकी कटाई सांसद राहुल गांधी कराएंगे या फिर जिन्होंने सड़क पर धान की रोपाई की है?

भूल गए गड्ढामुक्त बनाने के दावे!

बता दें कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली के उधनपुर गांव में सड़क की बदहाल स्थिति ने ग्रामीणों का सब्र तोड़ दिया है. सरकार द्वारा सड़कों को गड्ढामुक्त बनाने के दावों के बीच स्थानीय प्रशासन की उदासीनता से नाराज सैकड़ों ग्रामीण महिलाओं और पुरुषों ने मिलकर अनोखा विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने गांव की मुख्य सड़क पर धान रोपकर और नारेबाजी कर अपनी नाराजगी जाहिर की. साथ ही अधिकारियों पर शिकायतों की अनदेखी का आरोप लगाया.

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ग्रामीणों के अनुसार, उधनपुर को जोड़ने वाली यह सड़क करीब 15 साल पहले बनाई गई थी. तब से इसकी कोई मरम्मत या रखरखाव नहीं हुआ. नतीजतन, सड़क पूरी तरह जर्जर हो चुकी है. बारिश के मौसम में स्थिति और बिगड़ जाती है, जब सड़क गड्ढों और जलभराव से भर जाती है. इससे न केवल गांव वालों को, बल्कि आसपास के गांवों से गुजरने वाले राहगीरों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

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गर्भवती महिलाओं और बच्चों की मुश्किलें

गांव की रहने वाली आशा बहू ने बताया कि सड़क की खराब हालत के कारण एम्बुलेंस गांव तक नहीं पहुंच पाती. गर्भवती महिलाओं को पैदल ही अस्पताल ले जाना पड़ता है, जो जोखिम भरा है. इसके अलावा, स्कूल जाने वाले बच्चे गड्ढों में गिरकर चोटिल हो रहे हैं. उनकी स्कूल ड्रेस भी कीचड़ से खराब हो जाती है, जिससे अभिभावकों को अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ता है. ग्रामीणों का कहना है कि यह सड़क उनकी रोजमर्रा की जिंदगी को मुश्किल बना रही है.

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शिकायतों की अनदेखी, अधिकारियों पर गुस्सा

ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने कई बार लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) और डलमऊ के उपजिलाधिकारी (एसडीएम) को लिखित शिकायतें दीं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. न तो कोई अधिकारी जांच के लिए आया, न ही सड़क की मरम्मत के लिए कोई कदम उठाया गया. हताश होकर ग्रामीणों ने सड़क पर धान रोपने का फैसला किया, ताकि सरकार और प्रशासन का ध्यान उनकी समस्या की ओर जाए.

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धान रोपकर जगाएंगे अधिकारियों की नींद

प्रदर्शन में शामिल एक ग्रामीण ने कहा, “हमने धान इसलिए रोपा ताकि सरकार और जिम्मेदार अधिकारियों की नींद खुले। अगर अब भी सड़क की मरम्मत नहीं हुई, तो हम धरना-प्रदर्शन करेंगे.” ग्रामीणों का कहना है कि यह विरोध उनकी मजबूरी का नतीजा है, क्योंकि उनकी बार-बार की गुहार को अनसुना किया जा रहा है.

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ग्रामीणों ने मांग की है कि सड़क की तत्काल मरम्मत की जाए और आवागमन सुगम बनाया जाए। उनका कहना है कि यह सड़क न केवल उधन पुर, बल्कि आसपास के कई गांवों के लिए महत्वपूर्ण है। खराब सड़क के कारण न सिर्फ दैनिक आवागमन प्रभावित हो रहा है, बल्कि आपात स्थिति में भी लोगों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है.