रविंद्र भारद्वाज, रायबरेली। केंद्र सरकार की तरफ से बुढ़ापे का सहारा कहीं जाने वाली पेंशन को अब ’नई पेंशन स्कीम’ (एनपीएस) की जगह पर ’यूनिफाइड पेंशन स्कीम’ (यूपीएस) के तौर पेश किया गया है। इसके विरोध में दो सितम्बर से कर्मचारी इसका विरोध काली पट्टी बांधकर विरोध कर रहे हैं। इसी क्रम में शुक्रवार को आखिरी दिन भी कर्मचारियों ने काली पट्टी बांधकर इसका विरोध प्रदर्शन किया। अटेवा पेंशन मंच के जिला संयोजक इरफान अहमद ने बताया कि प्रांतीय निर्देश के अनुसार दो सितंबर से 6 सितंबर तक हाथ में काली पट्टी बांधकर सभी शिक्षक व कर्मचारी कार्य कर रहे हैं।

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लालगंज स्थित रेलकोच में आरसीएफ इम्प्लोयीस यूनियन, फ्रंट अगेन्सट एनपीएस इन रेलवे के कर्मचारियों ने भी यूपीएस का विरोध किया। संयोजक हरिकेश ने कहा कि यह यूपीएस एक छलावा मात्र है भले इसमें सरकार अपना अंशदान 14 फीसदी से बढ़ाकर 18 फीसदी कर रही हैं लेकिन सेवानिवृत्त पश्चात हमारा ही अंशदान हमको नहीं मिलेगा। मुख्य वक्ता प्रकाश यादव ने कहा कि आपके द्वारा किया गया अंशदान भी आपको नहीं मिलेगा। इस पेंशन व्यवस्था के जो लोग फायदे बता रहे हैं, वे सभी लोग खुद पुरानी पेंशन से अच्छादित है। अगर यह पेंशन व्यवस्था बेहतर हैं तो फिर वे सभी कर्मचारी नेता इस पेंशन को क्यों नहीं अपना रहे हैं। सचिव विनोद यादव ने कहा कि इसमें 10 साल बाद वेतन बढ़ने और न ही 80 साल की उम्र में पेंशन बढ़ने की उम्मीद है।

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प्रांतीय पदाधिकारी रजत कुमार रजक के नेतृत्व में बछरावां के ब्लॉक सभागार में हुई बैठक में उन्होंने कहा कि सरकार से हमें न ही एनपीएस चाहिए और न ही यूपीएस चाहिए, हमें सिर्फ और सिर्फ सरकार से अपने बुढ़ापे की लाठी के तौर पर ओपीएस यानि पुरानी पेंशन चाहिए। अगर यह पेंशन बेहतर है तो फिर दिल्ली में बैठे नेताओं को यह पेंशन ले लेनी चाहिए। क्षेत्र पंचायत बछरावां में पंचायती राज कर्मचारियों और शिक्षकों के बीच साझा बैठक में एनपीएस और यूपीएस का पुरजोर विरोध किया गया। सभी ने एक सुर में कहा कि जब तक सरकार सभी कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाल नहीं कर देती तब तक अनवरत संघर्ष चलता रहेगा।