वाराणसी. बीएचयू में एमए इन हिंदू स्टडीज के कोर्स में धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष के साथ ही रामायण और महाभारत को भी पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया गया है. साथ ही पुनर्जन्म के बंधन और इसके सिद्धांतों को भी नए कोर्स में जानने का मौका मिलेगा. भारत अध्ययन केंद्र की ओर से कोर्स तैयार करने के बाद इसकी पढ़ाई भी शुरू हो गई है. परास्नातक यानी पीजी स्तर पर कोर्स शुरू करने वाला बीएचयू देश का पहला विश्वविद्यालय है. इस मामले को लेकर राष्ट्रीय जनता दल ने निशाना साधा है.

आरजेडी के आधिकारिक ट्वीटर हैंडल से लिखा गया है कि, ‘कोयरी, कुर्मी, लोध, निषाद, नोनिया, राजभर, जाटव, पासी, पासवान, सैनी, गुर्जर, जाट, अहीर इत्यादि सब अज्ञानी है. संघ, भाजपा और मोदी-योगी अनुसार इन जातियों को कुछ नहीं आता-जाता इसलिए Hindu Studies को केवल जन्म से श्रेष्ठ शुक्ला, तिवारी, झा, त्रिपाठी, द्विवेदी, पांडेय जी ही पढ़ा सकते है.

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बता दें कि 46 छात्रों ने इस कोर्स में दाखिला लिया है. 39 रेग्यूलर, एक विदेशी और छह पेड सीट के छात्र हैं. अनिवार्य पाठ्यक्रम को तीन वर्ग में बांटा गया है. सिद्धांत, मेथड्स और अभ्यास शामिल है. दो साल, चार सेमेस्टर में इस डिग्री कोर्स की पढ़ाई पूरी होगी. हिंदू अध्ययन कोर्स में हैं कुल 58 सीटें इस कोर्स के लिए कुल 58 सीटें निर्धारित की गईं हैं. जिनमें रेग्यूलर की सीट 40 निर्धारित सीट है. फीस 2590 रुपए प्रति वर्ष है. एससी, एसटी को 500 रुपए देने होंगे. इसके साथ ही पेड की छह सीट हैं. पेड सीट के लिए 2590 रुपए देने होंगे. साथ ही दस हजार रुपए और लगेंगे.