वाराणसी. साईं बाबा की मूर्तियों को लेकर चल रहा विवाद एक बार फिर चर्चा में है. हिंदू संगठनों ने 14 मंदिरों से साईं बाबा की प्रतिमाएं हटाई हैं. ये अभियान अब भी जारी है. संगठनों का दावा है कि साईं बाबा एक मुस्लिम संत थे और इसलिए उनकी मूर्तियां सनातन धर्म के मंदिरों में स्थापित नहीं की जा सकतीं.

केंद्रीय ब्राह्मण सभा और सनातन रक्षक दल जैसे संगठनों ने बड़ा गणेश मंदिर से इस अभियान की शुरुआत की. उनके अनुसार साईं बाबा की मूर्तियां हटाने का निर्णय शास्त्रों के अनुसार लिया गया है. मंदिर के पुजारी ने भी इस बात पर सहमति जताई है कि अगर यह शास्त्र सम्मत नहीं है, तो मूर्तियां हटाई जा सकती हैं. संगठनों का कहना है कि यदि किसी की आस्था साईं बाबा में है, तो उन्हें अपना अलग मंदिर बनाकर पूजा करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए, लेकिन अन्य देवताओं के मंदिरों में उनकी मूर्तियां नहीं होनी चाहिए.

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भाजपा का षड़यंत्र- सपा

इस मुद्दे पर समाजवादी पार्टी ने इसे भाजपा के इशारे पर चल रहे षड्यंत्र के रूप में देखा है. उनका कहना है कि यह सब शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए किया जा रहा है. इससे पहले, 2014 में भी साईं बाबा के खिलाफ एक राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया गया था, जिसमें कुछ धर्म प्रमुख उनके अवतार और गुरु मानने की प्रथा को चुनौती देते हुए बयान दिए थे. उनका तर्क था कि साईं बाबा का जीवन और कार्य सनातन धर्म के आदर्शों के अनुरूप नहीं है.