अयोध्या। भारतीय जनता पार्टी ने कोसी परिक्रमा को लेकर समाजवादी पार्टी पर निशाना साधा है। भाजपा ने कहा कि समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद अवधेश प्रसाद द्वारा 14 कोसी परिक्रमा पथ की हालिया आलोचना ने एक बार फिर सपा के दोहरे मापदंड को सामने ला दिया। माना जा रहा कि समाजवादी पार्टी राजनीतिक लाभ लेने के लिए अयोध्या में विकास कार्यों और दूसरे मुद्दों पर सरकार की आलोचना के बहाने ‘भव्य राममंदिर’ के औचित्य पर सवाल बनाए रखना चाहती है।
कोसी परिक्रमा पथ पर अव्यवस्था का आरोप लगाया
भाजपा ने बताया कि अयोध्या के सपा सांसद अवधेश प्रसाद ने 14 कोसी परिक्रमा पथ के कुछ क्षेत्रों का दौरा किया। दौरा करने के बाद सपा सांसद ने 14 कोसी परिक्रमा पथ पर अव्यवस्था का आरोप लगाया। अयोध्या में 14 कोसी परिक्रमा 30 अक्टूबर की भोर से शुरू हो रही है। राममंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से साल दर साल 14 कोसी परिक्रमा के लिए देश प्रदेश से बड़ी संख्या में हिंदू श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती जा रही है। निश्चित रूप से अयोध्या हिंदू आस्था का एक बड़ा केंद्र बनकर उभरा है, साथ ही साथ आम जनता में केंद्र और राज्य सरकार के विकास कार्यों की ब्रांडिंग भी कर रहा।
नुकसान की भरपाई मानी जा रही
भाजपा का आरोप है कि अयोध्या के विकास कार्य और उसकी नई भव्यता विपक्षी दलों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई, जिससे राजनीतिक नुकसान बढ़ता ही जा रहा। सांसद अवधेश प्रसाद की टिप्पणी कहीं ना कहीं उसी नुकसान की भरपाई मानी जा रही। सोशल मीडिया पर कटाक्ष किए जा रहे कि “समाजवादी पार्टी को 14 कोसी परिक्रमा करने वाले श्रद्धालुओं की इतनी चिंता क्यों होने लगी? जबकि साल 2013 के दौरान अखिलेश यादव के दौर में इसी समाजवादी पार्टी ने 84 कोसी परिक्रमा पर प्रतिबंध लगा दिया था। सपा सरकार का यह प्रतिबंध कानून व्यवस्था बिगड़ जाने का हवाला देकर लगाया गया। तत्कालीन सपा सांसद मुलायम सिंह यादव ने सांसद में 84 कोसी परिक्रमा पर प्रतिबंध लगाने को जायज ठहराया।
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सपा ने परिक्रमा को हिंदू परंपरा के विरुद्ध बताया था
भाजपा ने कहा कि समाजवादी पार्टी ने परिक्रमा को हिंदू परंपरा के विरुद्ध बताया था। उस वक्त हिंदू आस्था पर सामजवादी पार्टी के प्रतिबंध की देशभर में आलोचना हुई थी। अब उसी पार्टी की तरफ से 14 कोसी परिक्रमा के श्रद्धालुओं के लिए जताई जा रही चिंता लोगों को पच नहीं रही। अभी हाल ही में सपा ने अयोध्या में दीपोत्सव का मजाक उड़ाया। दीपावली के त्योहार पर दिए जलाने की आलोचना की और सपा सांसद अवधेश प्रसाद ने भी दीपोत्सव के कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किए जाने का सवाल उठाया। सवाल यह कहते हुए उठाया कि उन्हें महज इसलिए नहीं बुलाया गया क्योंकि वह दलित समुदाय से आते हैं। जबकि स्थानीय सांसद अवधेश प्रसाद समेत देश प्रदेश के तमाम नेताओं ने रामलला के प्राण प्रतिष्ठा से ना सिर्फ दूरी बनाई बल्कि आलोचनाएं तक की गई।
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विपक्ष के लिए मुश्किलें पैदा करने वाला
भाजपा ने आगे कहा कि अयोध्या की भव्यता से जिस तरह योगी सरकार तारीफ पा रही- और रामलला का मंदिर हिंदुओं को जिस तरह से राजनीतिक रूप से एकजुट कर रहा, वह विपक्ष के लिए मुश्किलें पैदा करने वाला है। अब तक हिंदू एकजुटता की वजह से जातीय राजनीति तमाम प्रयासों के बाद भी खड़ा नहीं हो पाया। ढांचागत विकास कार्य और कानून व्यवस्था का असर लोगों को नजर आ रहे हैं। और इसके लिए योगी सरकार के प्रयासों की सराहना हो रही।
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अयोध्या ही में आज हर तरह की कनेक्टिविटी
एक अयोध्या ही में आज हर तरह की कनेक्टिविटी है। रामलला की प्राणप्रतिष्ठा के बाढ़ अकेले अयोध्या में बड़े पैमाने पर कारोबार बढ़ा और रोजगार में वृद्धि हुई। अयोध्या में रेल, सड़क और हावाई जहाज से कनेक्टिविटी है। देश विदेश के श्रद्धालुओं की आमद बढ़ी है। एक वर्ष में करीब 24 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु अयोध्या पहुंचे। न सिर्फ अयोध्या बल्कि रामलला मंदिर तक कनेक्टिविटी के लिए अवध और पूर्वाञ्चल में बड़े पैमाने पर ढांचागत विकास कार्य हुए। जिससे सीधे सीधे अयोध्या का कई जिलों को भी मिल रहा।
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किसानों को उचित मुआवजा मिल रहा
भाजपा ने बताया कि विरासत और विकास की फिलसफ़ी पर इसे और बेहतर करने के लिए साल 2021 से 84 कोसी परिक्रमा मार्ग का पुनर्विकास कार्य तेजी से चल रहा है, जिसमें 3,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश हो चुका है। मार्ग को 45 मीटर चौड़ा और चार लेन बनाने का काम प्रगति पर है, जिसमें प्रमुख तीर्थस्थलों की झांकियां भी शामिल हैं। भूमि अधिग्रहण में किसानों को उचित मुआवजा मिल रहा है। अयोध्या के बहाने कई तरह के फायदे निकल रहे, जिसमें कहीं न कहीं राजनीतिक नफा-नुकसान भी हैं। कहने की बात नहीं कि मौजूदा अयोध्या से को लाभ मिल रहा और दिन ब दिन सपा का नुकसान बढ़ता जा रहा।
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मुस्लिमों का वोट पाने के लिए विपक्षी दलों में होड़
यूपी भाजपा ने कहा कि सोशल मीडिया और तमाम बहसों में विश्लेषक कह भी रहे कि अयोध्या समेत सनातन प्रतीकों, त्योहारों की आलोचना के बहाने समाजवादी पार्टी तुष्टीकरण की राजनीति को जिंदा करना चाहती है। यह भी कहा जा रहा कि तुष्टीकरण की राजनीति में मुस्लिमों का वोट पाने के लिए विपक्षी दलों में होड मच गई है। समाजवादी पार्टी को मुस्लिमों के बीच कांग्रेस और बसपा के प्रयासों से तकलीफ हो रही है। मुस्लिम वोट छिटक कर कहीं दूर न चले जाएं- हर कोई अयोध्या या दूसरे सनातन प्रतीकों की आलोचना के बहाने आगे निकलने के लिए होड में लगा है।
सपा का बयान श्रद्धालुओं के बीच अयोध्या के महत्व को कम करने की कोशिश है। सवाल विकास कार्यों की बजाए- राममंदिर, उसकी भव्यता और उसका असर है।
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