आशुतोष तिवारी, सुल्तानपुर. प्रदेश की सरकार महिलाओ के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाओं का संचालन कर उन्हे स्वावलंबी बना रही है.महिलाओं को इलाज करवाने में दिक्कत न हो इसके लिए प्रत्येक जनपदो में महिला अस्पतालों का निर्माण करवाया है, लेकिन प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री पं. श्रीपति मिश्र का क्षेत्र की महिलाओं का समुचित इलाज क्षेत्र में ही हो यह सपना था. उन्होंने अपने इस सपने को साकार करने के लिए वर्ष 1982 में बल्दीराय क्षेत्रवासियों को महिला अस्पताल की सौगात दी और तत्काल बजट की स्वीकृत करवाकर लाखों की लागत से महिला अस्पाताल का निर्माण भी करवा दिया, लेकिन क्षेत्रवासियों का दुर्भाग्य रहा कि स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार 25 वर्षों तक किसी महिला डॉक्टर औऱ कर्मचारी की नियुक्ति तक नहीं करवा सके. ढाई दशक तक यह अस्पताल डॉक्टर की बाट जोहता रहा.
मांग में बाद शुरू हुई थी OPD
महिला अस्पाताल में स्वास्थ्य विभाग द्वारा डाक्टर की नियुक्ति न किए जाने को लेकर क्षेत्रवासी मुखर हो गए थे और इसकी शिकायत स्वास्थ्य महकमे से लेकर क्षेत्र के जनप्रतिनिधिओ विधायक सांसद से की. महिलाओं के इलाज की क्षेत्रवासियों की इस प्रबल समस्या से उस समय रुबरू होकर वर्तमान सांसद ताहिर खान ने संसद में आवाज उठाई और 19 सितंबर 2007 को
स्वंय स्वास्थ्य महकमे के अधिकारियों की उपस्थित में महिला अस्पताल का भव्य उद्घाटन कर महिलाओं के इलाज की सारी सुविधाएं अस्पाताल में मुहैया करवाई गई. कुछ समय तक महिला अस्पताल में इलाज सुचारू रूप से चलता रहा, लेकिन विभाग के जिम्मेदार की मनमानी के कारण पुनः महिला अस्पताल की इलाज की सारी सुविधाएं हटा ली गई.
विभागीय अनदेखी से हो गया वीरान
तहसील मुख्यालय बल्दीराय पर लाखों की लागत से निर्मित महिला अस्पाताल विभागीय उपेक्षा का शिकार बन कर रह गया. विभागीय अधिकारी कहते हैं महिला अस्पाताल को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र अटैच किया गया है, लेकिन सोचने का विषय है स्वास्थ्य विभाग के कागज में अभी भी महिला अस्पाताल में फार्मासिष्ट की नियुक्ति चल रही है. महिला अस्पाताल में महिलाओं का इलाज न शुरू हो पाना विभागीय अधिकारी कही खेल तो नहीं खेल रहे है. यह चर्चा क्षेत्र में जोरो पर है. क्षेत्र के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने प्रदेश के स्वास्थ्यमंत्री को एक पत्र भेजकर तत्काल महिला अस्पताल में डॉक्टर की नियुक्ति करने की मांग की है.