वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की महिलाएं दूसरे लोगों को शिक्षा की दिशा में प्रेरित कर रहीं हैं। हाल ही में प्रदेश में 69000 शिक्षकों की भर्ती हुई है। जिसमें 195 शिक्षकों की तैनाती वाराणसी में हुई है। वाराणसी के बेसिक शिक्षा विभाग में करीब 53.78 प्रतिशत मातृ शक्ति दूसरों के कदमों को शिक्षा के पथ पर बढ़ा रहीं हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के वृहद अभियान मिशन शक्ति को बढ़ावा देते हुए ये महिलाएं खुद तो स्वावलंबी बनी ही हैं बल्कि दूसरों को भी सशक्तिकरण व स्वावलंबन का पाठ पढ़ा रहीं हैं।
इन शिक्षिकाओं का कहना है कि हम सरकार को इस बात का धन्यवाद देते हैं कि उन्होंने महिलाओं को पुरूषों के बराबर दर्जा दिया है। आज सरकार की स्वर्णिम योजनाओं के कारण ही महिलाएं अपने सपनों को साकार कर रहीं हैं।
बता दें कि बेसिक शिक्षा परिषद में महिलाओं के लिए 50 परसेंट सीटें रिजर्व रहती हैं। वाराणसी में कुल 8,395 शिक्षक हैं। जिसमें से 4,515 महिला शिक्षिकाएं हैं वहीं 3,880 पुरुष शिक्षक हैं। बेसिक शिक्षा अधिकारी राकेश सिंह का कहना है कि शिक्षक के रूप में महिलाएं अपना दायित्व बखूबी निभा रही है। महिलाएं किसी भी कार्य में पुरुषों से पीछे नहीं हैं। चाहे बच्चों को पढ़ाना हो या स्कूल से सम्बंधित किसी भी प्रकार की गतिविधियां हों। मंडुवाडीह की शिक्षिका सरिता राय व सहायक अध्यापिका नीलम ने बताया कि जिले के विद्यालयों के आधे से अधिक विद्यालयों में प्रधान अध्यापिका के रूप में महिलाएं स्कूल प्रबंधन को भी बखूबी चला रहीं हैं। स्मार्ट क्लास बनाना ,मोहल्ला क्लास ,कायाकल्प योजना के तहत स्कूल को बेहतर बनाना,किचन गार्डन समेत सभी कामों में महिला शिक्षिकाएं अपना बेहतर योगदान शिक्षिका दे रही है.
केराकतपुर के प्राइमरी स्कूल की शिक्षिका आराधना दुबे ने बताया कि नौनिहालों की देखरेख व शिक्षा देने का काम महिला अध्यापकों द्वारा जितनी बखूबी से किया जाता है ,शायद पुरुष वर्ग उसमें उतना सफल नहीं हो सकता है। कहा जाता है की शिशु की प्रथम पाठशाला मां से शुरू होती है। जब बच्चा 6 वर्ष की आयु में स्कूल आता है तो वह अपनी शिक्षिका में भी मां का ही प्रतिबिंब देखता है। ऐसे बच्चों का उत्तरदायित्व शिक्षिकाओं द्वारा बड़े ही सहज ढंग से निभाया जाता है। ग्राम शिक्षा समिति के सदस्यों से लेकर ,प्रबंध समिति के सदस्यों को आसानी से समझा कर उनके उत्तरदायित्व का निर्वहन कराना।
शिक्षिकों ने बताया कि टीएलएम (टीचिंग लर्निंग मटेरियल) निर्माण हो या स्कूल की सजावट इन सब में भी महिला शिक्षिकाएं अगली पायदान पर ही रहती हैं। अभी-अभी हमारी प्रदेश सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए विभिन्न प्रकार की हेल्पलाइन की व्यवस्था की है। महिला सशक्तिकरण के लिए मिशन शक्ति कार्यक्रम की भी शुरुआत की गई है ,जिसमें शिक्षिकाओं द्वारा बढ़-चढ़कर योगदान दिया जा रहा है। आज महिला शिक्षकों द्वारा बेसिक शिक्षा को बुलंद करने में तन मन धन से जो समर्पण का भाव है।