अलीगढ़. कोरोना काल में लगातार देश भर से ऐसी-ऐसी खबरें सामने आ रही है, जो दिल को दहला दे रही है. कहीं डॉक्टर महामारी को अवसर में बदलने में लगे हैं. तो कहीं इंजेक्शन, दवाई और ऑक्सीजन की कालाबाजारी हो रही है. कई अस्पतालों में मरीज की मौत के बाद भी लाश को पैसे के लिए रोक कर रख रहे हैं. ऐसा ही मामला उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के दीनदयाल अस्पताल से सामने आया है. यहां पिता की मौत के बाद बेटा को इसलिए लाश नहीं दी जाती कि वह नाबालिग है. बेटा अपने पिता का शव के लिए डॉक्टरों के सामने गिदगिड़ाता रहा. लेकिन उन्हें 10 दिनों के बाद बड़ी मुश्किल से शव सौंपा गया.
दीनदयाल अस्पताल में मरीज को कोरोना संक्रमित होने के चलते भर्ती कराया गया था. मरीज की मौत दो दिन बाद हो गई. लेकिन अस्पताल ने बेटे को यह कह कर शव देने से इनकार कर दिया कि वह नाबालिग है. बच्चे ने बताया कि उसके परिवार में पिता के अलावा कोई नहीं था. उसने यह बात अस्पताल प्रशासन और डॉक्टरों को भी बताई. इसके बावजूद डॉक्टरों ने शव देने से इनकार कर दिया. बच्चे ने बताया कि उसने अपने पिता को बुखार और खांसी होने के बाद 21 अप्रैल को भर्ती कराया था. लेकिन 2 दिन बाद इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. जब उसने शव देने के लिए कहा तो अस्पताल ने यह कहकर लौटा दिया कि वह किसी को अपने साथ लेकर आए. बच्चे ने अस्पताल प्रशासन को बताया कि उसका कोई नहीं है. इसके बावजूद भी उसे खाली हाथ लौटना पड़ा.
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हलकान-परेशान होकर नाबालिग बेटा ने अपने पड़ोसी की मदद से पुलिस के पास पहुंचा. पुलिस ने शव दिलाने में मदद की. बच्चे के पास अंतिम संस्कार के लिए भी पैसा नहीं था. इसके बाद एनजीओ की मदद से अंतिम संस्कार कराया गया. बता दें कि इससे पहले भी इस तरह के ऐसे कई मामले सामने आए है, जिसमें डेड बॉडी देने के नाम पर मनचाहा रूपया की मांग की गई. एंबुलेंस नहीं दिया गया तो ई-रिक्शा पर ही शव को ले जाने को मजबूर हुई मां, जैसे कई मामले सामने आ चुके है.
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