प्रयागराज. प्रयागराज और कौशांबी के प्रसिद्ध गुलाबी अमरूद अब फीके पड़ गए हैं. अप्रत्याशित मौसम और भारी बारिश के कारण इस साल उपज में भी भारी कमी आई है.
विजय किशोर सिंह, बागवानी, प्रयोग और प्रशिक्षण केंद्र (एचईटीसी) प्रभारी, खुसरो बाग के अनुसार, भारी वर्षा के कारण, दोनों जिलों के प्रसिद्ध ‘अमरूद बेल्ट’ के अमरूद के पेड़ इस साल काफी जल्दी फूल गए हैं. हालांकि फल उपलब्ध है, लेकिन उसकी गुणवत्ता खराब है. “अमरूद की ‘लाल सुरखा’ किस्म में लाल रंग अब उतना प्रभावशाली नहीं रह गया है जितना होना चाहिए था.” पिछले चार वर्षों से, प्रसिद्ध इलाहाबादी अमरूद ‘सुरखा’ और ‘सफेदा’ दोनों किस्मों का उत्पादन विफल रहा है, जिससे कीमतों में वृद्धि हुई है.
सिंह ने कहा कि अमरूद के पेड़ अक्टूबर के अंत तक फूल देना शुरू कर देते है और दिसंबर के मध्य तक फल पकना शुरू हो जाते हैं और घने कोहरे और सर्द सर्दियों के कारण, फल दिसंबर के मध्य से जनवरी के मध्य तक लाल हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि किसानों को गर्मियों के दौरान यूरिया (मई के मध्य से जून में) का उपयोग करके फल के फूल की जांच करनी चाहिए और यदि बारिश के मौसम में पेड़ फल नहीं देते हैं, तो सर्दियों की फसल स्वस्थ होती है.
इसे भी पढ़ें – TOURISM : प्रदेश के वन्यजीव अभयारण्य फिर से खुलेंगे, पर्यटक इस दिन से कर सकते हैं सैर
हालांकि, जिले के किसान एक बार फिर अपनी फसल खराब होने के लिए सरकारी मशीनरी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. इलाहाबादी सुरखा वेलफेयर एसोसिएशन के नेता इंद्रजीत सिंह पटेल ने कहा कि किसी भी सरकारी अधिकारी ने हमारे खेतों का दौरा नहीं किया. हमें प्रशिक्षित नहीं किया कि हमें अपनी फसल को बचाने या स्वस्थ फसल प्राप्त करने के लिए कौन से तरीके अपनाने चाहिए. जिसके कारण विश्व प्रसिद्ध ‘लाल सुरखा’ और ‘सफेदा’ के किसान लाभ नहीं उठा पाए हैं.
Read also – 11,466 Infections Recorded; Over 109.63 Crore Beneficiaries Immunized
- छतीसगढ़ की खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक
- मध्यप्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- दिल्ली की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- पंजाब की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक