प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जौनपुर के एक 24 वर्षीय व्यक्ति की कथित हिरासत में मौत की सही जांच करने में विफल रहने पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को फटकार लगाई है. अदालत ने कहा कि जांच एजेंसी द्वारा दायर किया गया हलफनामा पूरी तरह से असंतोषजनक है, क्योंकि इससे संकेत मिलता है कि आरोपी व्यक्तियों, जो पुलिसकर्मी हैं, को गिरफ्तार करने के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किया गया था.
जौनपुर जिले के अजय कुमार यादव द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए, न्यायमूर्ति सूर्य प्रकाश केसरवानी और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने कहा, “सीबीआई द्वारा किया गया यह दावा कि प्रयास किए जा रहे हैं, सुनवाई की अंतिम तिथि को 27 अक्टूबर, 2021 के आदेश में दर्ज किए गए रुख के मद्देनजर महज एक दिखावा प्रतीत होता है कि सीबीआई जांच पूरी होने के बाद ही आरोपियों को गिरफ्तार करती है.” अपने हलफनामे में, सीबीआई ने पुलिस अधिकारियों, संदिग्धों और आरोपी व्यक्तियों का विवरण दिया और यह भी कहा कि गैर-जमानती वारंट (एनबीडब्ल्यू) के लिए उनके ज्ञात पतों पर छापे/तलाशी कर, उनके सीडीआर/आईपीडीआर की जांच करके और उनके वर्तमान स्थानों का पता लगाने के लिए सूत्रों को तैनात करने जैसे कई प्रयास किए जा रहे हैं.
यह भी कहा गया कि स्थानीय पुलिस द्वारा मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, जौनपुर की अदालत से 6 सितंबर, 2021 को गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है. हालांकि, अदालत ने कहा कि आरोपी व्यक्तियों को दो महीने से अधिक समय के बाद भी गिरफ्तार नहीं किया गया है. अदालत ने सीबीआई को मामले की ठीक से जांच करने और बिना किसी देरी के गिरफ्तारी वारंट को निष्पादित करने और धारा 82 और 83 के प्रावधानों सहित दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) में प्रदान की गई सभी परिणामी कार्रवाई करने का एक और मौका दिया है. सीआरपीसी की धारा 82 और 83 के तहत आरोपियों को भगोड़ा घोषित किया जाता है और उनकी संपत्तियां कुर्क की जाती हैं.
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अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख 29 नवंबर को सीबीआई से हलफनामा भी मांगा है. सीबीआई को आगे अपनी इस दलील पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कहा गया है कि ‘सीबीआई जांच पूरी होने के बाद ही आरोपी को गिरफ्तार करती है.’ अदालत ने इस साल फरवरी में जौनपुर जिले में पुलिस हिरासत में 24 वर्षीय एक व्यक्ति की कथित मौत की जांच सीबीआई को सौंप दी थी. अदालत ने यह देखते हुए जांच सीबीआई को सौंपी थी कि पुलिस का पूरा प्रयास किसी भी तरह से दोषियों को क्लीन चिट देने का है.
याचिकाकर्ता का आरोप है कि जौनपुर जिले के बक्सा थाने की एक पुलिस टीम ने 24 वर्षीय कृष्ण यादव उर्फ पुजारी को 11 फरवरी 2021 को कथित झूठे मामले में जबरन उठाकर थाने में हिरासत में ले लिया था. जब मृतक का भाई थाने गया तो उसे अपने भाई से मिलने नहीं दिया गया और अगली सुबह उसे बताया गया कि उसके भाई पुजारी की मृत्यु हो गई है. इसके बाद आरोपी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ बक्सा थाने में धारा 302 (हत्या) और भारतीय दंड संहिता की अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था.
उधर, पुलिस का दावा है कि मोटरसाइकिल चला रहे युवक को पकड़ लिया गया था, जो गिर गया था, जिससे वह घायल हो गया और लोगों ने उसकी पिटाई भी कर दी थी. पुलिस ने आगे कहा कि जब हिरासत में लिए गए युवक को एक सब इंस्पेक्टर और दो कांस्टेबल के साथ प्राथमिक उपचार के लिए भेजा गया, तो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर ने उसे जिला अस्पताल जौनपुर रेफर कर दिया और जब तक वे जिला अस्पताल पहुंचे, तब तक उसकी मौत हो चुकी थी.
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