अयोध्या. राजनीती में अक्सर नेता जाति-धर्म को लेकर जनता को बांटने और लड़ाने का काम करते हैं. भाईचारा को जाति-पाति के नाम पर तोड़ने की कोशिश करते हैं. लेकिन आज भी भाईचारा जिंदा है. ईमानदारी की जीत का एक बेहतरीन उदाहरण देखेने को मिला है. उत्तर प्रदेश के अयोध्या के एक गांव में सांप्रदायिक सौहार्द की एक अनोखी मिसाल देखने को मिली. इस गांव में पूरी आबादी हिंदू की है. एक ही परिवार मुस्लिम का है. लोगों ने उम्मीदवार की ईमानदारी को देखर उन्हें प्रधान का ताज पहनाया.
अयोध्या जिले के हिंदू बाहुल्य गांव में मुस्लिम उम्मीदवार हाफिज अजीमुद्दीन खां ने प्रधान पद में जीत दर्ज की है. हिंदुओं ने अपना प्रतिनिधि एक मुसलमान व्यक्ति को चुना है. अब इस गांव की चर्चा पूरे जनपद में हो रही है. चुनाव में कुछ उम्मीदवार प्रधान के पद पर जीत हासिल करने के लिए मतदाताओं को रिझाने के लिए जात व मजहब के नाम पर वोट मांग रहे थे तो कई उम्मीदवार पैसा और दारू आदि के जरिए वोटरों को लुभाने लगे थे. किंतु अयोध्या के मवई ब्लॉक की ग्राम पंचायत रजनपुर जहां सिर्फ एक घर मुस्लिम संप्रदाय का है, बाकी सभी मतदाता हिंदू संप्रदाय से हैं.
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प्रधान पद के लिए आठ प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे. उनमें से एक मात्र मुस्लिम हाफिज अजीमुद्दीन खां चुनाव लड़ रहे थे. सभी प्रत्याशी अपनी जीत का दावा कर रहे थे, किन्तु गांव की जनता किसी प्रलोभन या जातिपात के हथकण्डे को नकारते हुए प्रत्याशी का व्यवहार, कर्मठता तथा ईमानदारी को पैमाना मानते हुए अजीमुद्दीन खां को अपने ग्राम पंचायत का प्रधान चुनकर गांव में साम्प्रदायिक सौहार्द की एक अनोखी मिसाल कायम की जिसकी पूरे इलाके में चर्चा हो रही है.
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