अंकित मिश्रा, बाराबंकी. बाराबंकी तहसील रामनगर क्षेत्र अंतर्गत सरकारी गौशालाएं यातना घर से किसी भी मामले में कम नहीं आकी जा रही है. जिसके कारण गौ आश्रय स्थलों से लेकर क्षेत्र में जगह-जगह घायल या मृत छोटे-बडे मवेशियों को कुत्ते नोच-नोच कर दुर्गंध फैलाते हुए आए दिन देखे जा रहे है. राहगीर तो तेज कदमों के साथ आगे बढ जाते है, लेकिन उस स्थल के आस पास के लोग उस दुर्गंध का शिकार बने रहते है. यहां पर सबसे बड़ी बात तो यह है कि विगत कुछ वर्षों से इन मृत होने वाले मवेशियों को ठिकाने लगाने वाले ठेकेदार का क्षेत्र में कोई अता-पता नहीं लग पाता है.

लोग मवेशियों के दुर्गंध से बचने के लिए स्वयं ठिकाने लगाने के लिए विवश हो जाते हैं. अब यह बात अलग है कि सरकारी गौशालाओं में मवेशियों के ऊपर भारी भरकम धनराशि व्यय करने के बावजूद मवेशी भूखों मर रहे है और उनकी असली संख्या भी निश्चित नहीं मिलेगी. क्षेत्र में स्थापित गौशालाएं केवल लूट का शिकार हुई है. त्रिस्तरीय पंचायती चुनाव के बाद बदले गांवों के निजाम से दो गौशालाओं की देख-रेख की व्यवस्था कुछ बेहतर हुई है. ऐसा भी नहीं है कि जिम्मेदार अधिकारयों की गांधारी नजरों से ओझल हो और कर्मचारी इससे अनजान हो.

मालूम हो कि तहसील रामनगर के क्षेत्र मे छुट्टा मवेशी आज-कल बहुत ही दर्दनाक मौत मर रहे हैं. यहां तक कि सार्वजनिक स्थानों पर मृत पड़े पशुओं के शवों का निस्तारण न होकर उनको कुत्ते व चील कौव्वे नोच-नोच कर खाते हुए अक्सर देखे जाते है. दुर्गंध से लोग परेशान होते है. शासन-प्रशासन जानकर भी अंजान बना हुआ है. सरकार के द्वारा छुट्टा जानवरों के वध पर रोक लगाकर इसे दंडनीय अपराध करार दे दिया गया है. हर छोटे-बडे चौराहों और ग्रामीण-शहरी अंचलों में सैकड़ों की तादात मे छुट्टा मवेशी शाम को आराम फरमाते हुए मिल जाएंगे. भारी संख्या मे यह छुट्टा जानवर किसानों की तैयार फसले चट्ट कर जाते हैं. अपनी फसलों को बचाने के लिए किसानों ने अपने खेतों के चारों तरफ कटीले व आरीदार तेज धार तारों को लगाकर घेराबंदी कर रखी है. लेकिन भूखे प्यासे बेजुबान मवेशी मौका पाते ही तारों को तोड़ या फादकर फसलों को चरने के लिए खेत में घुस जाते है. इस जोखिम भरे काम में तमाम जानवर बुरी तरह घायल होकर बड़ी बदतर जिंदगी जीने को मजबूर हो जाते हैं.

अमराई गांव और सेमराय में बनी गौशालाओं में ग्राम प्रधान अच्छे प्रयासों की तरफ बढते हुए देखे जा रहे हैं. लोगो का कहना है कि ऐसी दर्दनाक मौत मरने से जानवरों का स्लाटर हाऊस मे कट जाना ही बेहतर था. तहसील रामनगर में गेट के अंदर तमाम छुट्टा और पीड़ित मवेशी चहल कदमी करते हुए मिल जाएंगे. यह सब आलाधिकारियों और सम्मानित अधिवक्ताओ का आवागमन भी निरंतर बना रहता है. अवस्थी पंप के पास हाईवे पर एक गोवंश तीन दिनों से मृत पड़ा था जिससे बदबू भी आ रही थी, उसे कुत्ते नोच रहे थे. उसके भी शव का निस्तारण नहीं हो पाया था. लोधेश्वर महादेवा नगर पंचायत रामनगर के लखरौरा मोहल्ला स्थित सड़क मार्ग के किनारे प्रतिदिन शाम को और रात्रि मे सैकड़ों मवेशी आपको इधर उधर खड़े मिल जाएंगे. हांलाकि रामनगर में गौशाला का तो अभी जल्द ही उद्घाटन भी हुआ है. खैर यह सब तो मात्र बानगी भर है. ग्रामीण अंचलो में जगह-जगह मृत पशुओं से लोगों को भारी दुश्वारियों का सामना करना पड़ रहा है.

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क्षेत्र में स्थापित गो आश्रय स्थलों में करोड़ों रुपए खर्च होने के बावजूद भी वहां के हालात बद से बदतर है. भूख प्यास से दम तोड़ चुके तमाम जानवर मृत अथवा घायल पड़े रहकर तड़पते हुए देखे जा सकते है. इन बेजुबान जानवरों की सुध लेने वाला कोई दिखाई नहीं पड़ता है. गो आश्रय स्थलों के लिए बाहरी किनारों की खुदाई कर मिट्टी से जो घेरा बनाया गया है, उसके बगल में खुदा हुआ स्थल चारों तरफ नाले के रुप में मौजूद है. जिसमें बीमार पशुओं को अक्सर तड़प कर मरते हुए भी देखा जाता है. क्षेत्र के जागरुक जनों ने प्रदेश सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ से गो आश्रय स्थलों की जांच करके इसकी दशा-दिशा तय करवाए जाने की मांग की है.