गोरखपुर. मकर संक्रांति के पर्व पर गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को गोरखनाथ मंदिर में ब्रह्म मुहूर्त में महायोगी गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाई. इस दौरान उन्होंने समूचे जनमानस की सुख समृद्धि की मंगलकामना की.

इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि संक्राति का पावन पर्व है. इस अवसर पर पूर्वी यूपी और देश के विभिन्न भागों से आए लोग गोरखनाथ को आस्था की खिचड़ी चढ़ाई जा रही है. हम सब जानते हैं कि भारत के धार्मिक परंपरा में मकर संक्राति का अपना महत्व हो. यह देश के अलग-अलग भागों में अलग नाम रूप में मनाया जाता है. इसे लोग बहुत श्रद्धा से मनाते है। मकर संक्राति से शुभ कार्यों की शुरूआत होती है. भगवान सूर्य आज से उत्तरायण में प्रवेश करते हैं. सूर्यदेव के उत्तरायण होने पर खिचड़ी चढ़ाने की यह अनूठी परंपरा पूरी तरह लोक आस्था को समर्पित है. गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी के रूप में चढ़ाए जाने वाला अन्न पूरे वर्ष जरूरतमंदों में वितरित किया जाता है.

इस दिन उत्तर प्रदेश, बिहार व देश के विभिन्न भागों के साथ-साथ पड़ोसी राष्ट्र नेपाल से भी कुल मिलाकर लाखों की तादाद में श्रद्धालु शिव अवतारी बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाएंगे. आनुष्ठानिक कार्यक्रमों का शंखनाद शनिवार भोर में हो गया. सुबह चार बजे सबसे पहले गोरक्षपीठ की तरफ से पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ खिचड़ी चढ़ाकर बाबा को भोग अर्पित किया. इसके बाद नेपाल राज परिवार की ओर से आई खिचड़ी बाबा को चढ़ेगी.

बाबा गोरक्षनाथ को खिचड़ी चढ़ाने की यह परंपरा सदियों पुरानी है. मान्यता है कि त्रेता युग में सिद्ध गुरु गोरक्षनाथ भिक्षाटन करते हुए हिमांचल के कांगड़ा जिले के ज्वाला देवी मंदिर गए. यहां देवी प्रकट हुई और गुरु गोरक्षनाथ को भोजन का आमंत्रित दिया. वहां तामसी भोजन देखकर गोरक्षनाथ ने कहा, मैं भिक्षाटन में मिले चावल-दाल को ही ग्रहण करता हूं. इस पर ज्वाला देवी ने कहा, मैं चावल-दाल पकाने के लिए पानी गरम करती हूं. आप भिक्षाटन कर चावल-दाल लाइए.

गुरुगोरक्षनाथ यहां से भिक्षाटन करते हुए हिमालय की तराई स्थित गोरखपुर पहुंचे. उस समय इस इलाके में घने जंगल थे. यहां उन्होंने राप्ती और रोहिणी नदी के संगम पर एक मनोरम जगह पर अपना अक्षय भिक्षापात्र रखा और साधना में लीन हो गए. इस बीच खिचड़ी का पर्व आया. एक तेजस्वी योगी को साधनारत देख लोग उसके भिक्षापात्र में चावल-दाल डालने लगे, पर वह अक्षयपात्र भरा नहीं. इसे सिद्ध योगी का चमत्कार मानकर लोग अभिभूत हो गए. उसी समय से गोरखपुर में गुरु गोरक्षनाथ को खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा जारी है. इस दिन हर साल नेपाल-बिहार व पूर्वाचल के दूर-दराज इलाकों से श्रद्धालु गुरु गोरक्षनाथ मंदिर में खिचड़ी चढ़ाने आते हैं. पहले वे मंदिर के पवित्र भीम सरोवर में स्नान करते हैं. खिचड़ी मेला माह भर तक चलता है. इस दौरान के हर रविवार और मंगलवार का खास महत्व है. इन दिनों मंदिर में भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं.