विक्रम मिश्र, लखनऊ. उत्तर प्रदेश सरकार राज्य भर में सभी सरकारी कामकाज को पूरी तरह ई-ऑफिस (e-Office) के जरिए करने की तैयारी में है. जिसके लिए योगी आदित्यनाथ की सरकार ने 5 सितंबर की तिथि भी घोषित कर दी है. हालांकि शासन स्तर पर यह व्यवस्था लागू होने बाद निगाह अब जिलों और मंडलों में स्थित सरकारी दफ्तरों पर है. इसके अब जिलों में सरकारी काम में तेजी आएगी और पारदर्शिता के साथ काम होगा. भ्रष्टाचार पर भी रोकथाम हो सकेगी.

हालांकि यूपी के ज्यादातर जिलों में ई-ऑफिस व्यवस्था (e-Office) पूरी तरह लागू हो चुकी है और उसी हिसाब से वहां कार्यालयों में फाइलों का मूवमेंट हो रहा है. अब जिलों में सभी कर्मचारियों के ई-मेल आईडी जनरेट कराने का काम शुरू होगा. उसके बाद उनका प्रशिक्षण होगा. इसके अलावा मंडल स्तर पर काम कर रहे सभी सरकारी विभागों में भी यही व्यवस्था लागू करने की तैयारी है. इससे एक तरह से सरकारी काम में पेपरलेस व्यवस्था लागू होगी.

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2018 के आदेश पर अब होगा अमल

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2018 में पूरे प्रदेश के सभी विभागों, जिलों, मंडलों में ई-आफिस व्यवस्था लागू करने का आदेश दिया था. इसके तहत चरणबद्ध तरीके से काम शुरू हुआ था. इसके जरिए सरकारी कर्मिकों के काम की भी निगरानी होगी. कहां कौन सी फाइल अटकी है, पता चल जाएगा और देरी की जिम्मेदारी समेत जबावदेही भी तय हो जाएगी. डीएम किसी भी पत्रावली की मानटरिंग कर सकेंगे और इससे जिलों से शासन को जाने वाली पत्रावलियों का काम तेजी से होगा.

सचिवालय में लागू है पेपरलेस व्यवस्था

उत्तर प्रदेश सचिवालय के 93 विभागों में शत-प्रतिशत ई-ऑफिस व्यवस्था (e-Office) लागू हो चुकी है. पुलिस महकमे के 90 कार्यालयों और विभागों में केवल 45 में ही यह व्यवस्था लागू हो पाई है. 8 पर काम जारी है. इसमें अब तक 8181 फाइल जारी हो चुकी हैं. असल में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2018 में पूरे प्रदेश के सभी विभागों, जिलों, मंडलों में ई-आफिस व्यवस्था लागू करने के आदेश दिए थे. इसके तहत चरणबद्ध तरीके से काम शुरू हुआ.

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क्या है ई-ऑफिस व्यवस्था?

ई-ऑफिस (e-Office) एक सरलीकृत, उत्तरदायी, प्रभावी, जवाबदेह और पारदर्शी कार्यप्रणाली है. ई-ऑफिस की गति और दक्षता विभागों को सूचित और त्वरित निर्णय लेने में सहायता करती है. निवेशकों के साथ आमजन के लिए भी इस व्यवस्था के लागू हो जाने से लाभ मिलेगा. बता दें कि ई-ऑफिस व्यवस्था लागू हो जाने से फाइल का मूवमेंट और उस पर हो रही कार्रवाई की ऑन लाइन ट्रैकिंग की जा सकती है. साथ ही फाइल पर किसी सवाल का निस्तारण पेपरलेस तरह से ही किया जा सकेगा. यूपी में निवेश करने वाले औद्योगिक निवेशकों को अक्सर फाइल मूवमेंट में देरी होने के कारण उनके प्रोजेक्ट पिछड़ रहे थे. लिहाजा इसके निस्तारण के लिए ही योगी सरकार ने ई-ऑफिस व्यवस्था लागू करने के निर्देश दिए है.