लखनऊ. प्रोविंशियल आम्र्ड कांस्टेबुलरी (पीएसी) में फर्जी पहचान के आधार पर 15 साल तक सेवा करने वाले एक ठग को लखनऊ पुलिस ने गिरफ्तार किया है. मामला तब सामने आया जब क्रेडिट कार्ड बिल के भुगतान का रिमाइंडर उस व्यक्ति के पास पहुंचा, जिसकी पहचान के आधार पर ठग काम कर रहा था.

बलिया निवासी आरोपी अमित कुमार सिंह ने बलिया के ही कांस्टेबल मनीष कुमार सिंह की पहचान अपनाई थी और यूपी पुलिस में कार्यरत था. मनीष को 2006 में स्वतंत्रता सेनानियों के आश्रितों की श्रेणी में भर्ती किया गया था. अमित और मनीष दोनों के पिता का नाम एक ही हैं. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि अमित ने मनीष के नाम से एक एसबीआई क्रेडिट कार्ड जारी किया था. मनीष ने एसबीआई क्रेडिट कार्ड का भी इस्तेमाल किया था और उसे 7,000 रुपए के लंबित बिल के बारे में लगातार रिमाइंडर मिल रहे थे.
मनीष ने बैंक से संपर्क किया और उन्हें फिर से बताया गया कि उनके क्रेडिट कार्ड पर 7,000 रुपए बकाया हैं.

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कांस्टेबल होने के नाते मनीष ने खुद मामले की जांच शुरू की. फिर उसने पाया कि उसके नाम से दो क्रेडिट कार्ड जारी किए गए थे और दूसरे में हर महीने लेन-देन का इतिहास था, लेकिन मनीष को इस बात की कोई जानकारी नहीं थी कि उस कार्ड का इस्तेमाल कौन कर रहा है. वह विवरण के साथ बैंक गया और पाया कि कार्ड धारक के बारे में सारी जानकारी में उसका नाम, पता, जन्म तिथि, पिता का नाम लिखा है. यहां तक कि कार्ड के लिए उनके पैन कार्ड का भी इस्तेमाल किया गया था और उनका फोन नंबर भी इससे जुड़ा हुआ था.

मनीष ने तब यूपी पुलिस की वेबसाइट पर खोजबीन की और देखा कि वहीं पीएसी कांस्टेबल का विवरण समान था लेकिन साइट पर अलग-अलग पोस्टिंग नंबर थे. इसके बाद मनीष ने विभूति खंड पुलिस में मामला दर्ज कराया. एडीसीपी पूर्व कासिम आब्दी ने कहा कि जालसाज अमित ने मनीष की पहचान चुरा ली थी और धोखाधड़ी कर रहा था. उन्होंने कहा कि चार्जशीट दाखिल होने के बाद उनके द्वारा वेतन के रूप में अर्जित धन की वसूली की जाएगी.