औरैया. आज दुनिया में हरियाली और शुद्ध हवाओं की कमी होती जा रही है. लगातार लोग अपने स्वार्थ के लिए पर्यावरण और जंगल का नाश कर रहे हैं. भले ही हर साल विश्व पर्यावरण दिवस मानते हैं, लेकिन इसे बचाने के लिए कोई पहल नहीं की जाती है. ऐसे में एक गांव पूरे देश के लिए एक मिसाल बन गया है. इस गांव में हरियाली ही हरियाली है. यहां 245 पीपल के पेड़ हैं. यहां आकर हर कोई जन्नत सा महसूस करते हैं. इस गांव में खुशी के अवसर पर ग्रामीण पीपल के पेड़ लगाते हैं. यह परम्परा कई सालों से चली आ रही है. ग्रामीण इस प्रथा को आज भी निभा रहे हैं.

उत्तर प्रदेश के औरैया जिले में बेला की ग्राम पंचायत मल्हौसी के लोग अपनी जीवन शैली को प्रकृति की छांव में संवार रहे हैं. चार हजार की आबादी वाले इस गांव में 245 पीपल के पेड़ हैं. लोगों की सुबह इन्हीं पेड़ों के नीचे व्यायाम से साथ शुरू होती है तो शाम भी पीपल की छांव में विश्राम के साथ ढलती है. विश्वास और मान्यता भी ऐसी कि घर में खुशहाली आने के साथ लोग एक नया पीपल का पेड़ भी लगाते हैं. 400 हेक्टेयर क्षेत्रफल में बसे इस गांव में 677 घर हैं.

 

 

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ग्रामीणों का पीपल के नीचे की हवा पर ऐसा विश्वास है कि कहते हैं कि गांव में पहले तो जल्दी कोई बीमार ही नहीं होता. अगर हुआ भी तो मामूली इलाज से ठीक हो जाता है. ग्राम प्रधान उर्मिला देवी ने बताया कि गांव में पीपल का पेड़ लगाने की बुजुर्गों की परंपरा को बरकरार रखा जाएगा. बुजुर्गों ने नई पीढ़ी के लिए वरदान के रूप में पेड़ दिए हैं. अब हम भी आने वाली पीढ़ी को स्वच्छ वातावरण देने की पूरी कोशिश करेंगे.

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