Dr. Ram Vilas Vedanti has passed away: पूर्व सांसद और सुविख्यात संत डॉ. रामविलास वेदांती (वेदांती जी महाराज) का निधन हो गया है। उनके निधन से संत समाज और राजनीति जगत में शोक की लहर व्याप्त है। रामविलास वेदांती ने राम जन्मभूमि आंदोलन के प्रमुख संत के रूप में सालों तक संघर्ष किया। साथ ही अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए दशकों तक तप, त्याग और संघर्ष का मार्ग चुना।

राम मंदिर आंदोलन में डॉ. वेदांती की अहम भूमिका

बता दें कि राम मंदिर आंदोलन में डॉ. रामविलास वेदांती की अहम भूमिका थी।बाबरी ढांचा विध्वंस केस में जिन नेताओं पर मुकदमा चला उनमें डॉ. वेदांती भी शामिल थे। 6 दिसंबर 1992 को सीबीआई की विशेष अदालत ने अपना अंतिम फैसला सुनाते हुए लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार और डॉ. वेदांती सहित सभी आरोपियों को बरी कर दिया था।

फैसले से पहले राम विलास वेदान्‍ती ने कोर्ट में दर्ज कराए अपने बयान में कहा था कि हमने किसी मज्जिद को नहीं मंदिर के खण्‍डहर को (Dr. Ram Vilas Vedanti has passed away) तोड़ा था। वहां केवल और केवल मंदिर था जिसे राजा विक्रमादित्य ने बनवाया था। ‘हमको विश्वास है कि मंदिर था, मंदिर है और मंदिर रहेगा। हमने उस ढांचा को तुड़वाया, उस खंडहर को तुड़वाया, इसके लिए हमको गर्व है। हम रामलला के लिए जेल जाने और फांसी चढ़ने को भी तैयार हैं

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राम मंदिर जन्मभूमि न्यास के कार्यकारी अध्यक्ष रहे

डॉ राम विलास वेदांती का जन्म 7 अक्टूबर 1958 को हुआ। राम विलास वेदांती राम मंदिर आंदोलन से शुरुआती दौर से जुड़े रहे और 12 वीं लोकसभा के संसद सदस्य रहे। पहली बार प्रतापगढ़ जिले में रामविलास वेदांती ने कमल खिलाया था। वर्ष 1996 में मछली शहर और 1998 में (Dr. Ram Vilas Vedanti has passed away) जिले का सांसद चुने जाने के बाद मंदिर आंदोलन को धार देने के कारण उन्हें राम मंदिर जन्मभूमि न्यास के कार्यकारी अध्यक्ष का दायित्व सौंपा गया था।

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राजा-रजवाड़ों के इर्द-गिर्द घूमने वाली राजनीति में पहली बार प्रतापगढ़ बेल्हा के वोटरों ने भगवान राम के नाम पर संत को अपना जनप्रतिनिधि चुनकर देश के सबसे बड़े सदन में भेजा था। उन्होंने न केवल जनजागरण के माध्यम से रामभक्तों को एकजुट किया, बल्कि न्यायालय में सत्य (Dr. Ram Vilas Vedanti has passed away) और आस्था के पक्ष में निर्भीक होकर अपनी गवाही भी दी। उनका जीवन संतत्व, राष्ट्रभक्ति और धर्म के प्रति अटूट समर्पण का उदाहरण रहा।

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