लखनऊ. साल 2015 में सीसामऊ के दर्शनपुरवा इलाके में हिन्दू-मुस्लिम के बीच हिंसा हुई थी. इस मामले में 32 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था. लेकिन अब योगी सरकार ने 32 आरोपियों का मुकदमा वापस लेने की घोषणा की है. योगी सरकार के इस फैसले को उपचुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है, क्योंकि सीसामऊ में भी उपचुनाव होना है. ऐसे में योगी सरकार पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं कि भाजपा ने चुनाव में फायदा पाने के लिए ये कदम उठाया है.

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बता दें कि साल 2015 में दर्शनपुरवा इलाके में नवरात्रि और मोहर्रम एक साथ पड़ा था. ऐसे में नवरात्रि में भंडारे के बीच से मोहर्रम का ताजिया निकाला गया था, जिसके बाद दोनों पक्षों के बीच कहासुनी से शुरू हुई और विवाद ने हिंसा का रूप ले लिया. इस हिंसा के बाद पुलिस ने 50 लोगों को चिन्हित किया था, लेकिन तत्कालीन विधायक इरफान सोलंकी ने 32 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाकर जेल भेजवा दिया था. अब योगी ने सभी 32 आरोपियों के केस वापस लेने का ऐलान किया है. योगी सरकार के इस फैसले से आरोपियों के बीच खुशी की लहर दौड़ पड़ी है.

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हिंसा मामले के एक आरोपी का कहना है कि उसका भाई पवन भंडारे के कार्यक्रम में मौजूद था. वो तो अपने घर पर ही था, लेकिन जब बवाल हुआ तो सपा विधायक के दबाव में आकर उसे भी आरोपी बना दिया गया. लेकिन, अब शासन स्तर पर इन पर लगे मुक़दमों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. वहीं कानपुर जिला न्यायालय के शासकीय अधिवक्ता दिलीप अवस्थी ने भी इस बात की पुष्टि की है. उन्होंने कहा कि इन 32 लोगों पर सपा सरकार के दवाब में मुकदमा लिखा गया था.

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