लखनऊ। योगी सरकार ने विरासत वृक्षों को संवारने के लिए बड़ा फैसला लिया है। प्रदेश के 11 जनपदों में विरासत वृक्ष वाटिका तैयार किया जाएगा। सरकार वृक्ष अंगीकरण योजना के जरिए सूबे के 948 विरासत वृक्षों को संवारने का काम करेगी। योगी सरकार पेड़-पौधों के जरिए भी विरासत का सम्मान करने को प्रतिबद्ध है।
विशिष्ट विरासत वृक्षों की पहचान
बताया जा रहा है कि 100 वर्ष से अधिक आयु के 28 प्रजाति के वृक्षों को विरासत वृक्ष घोषित किया गया है। उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में यह वृक्ष मौजूद है। सरकारी आंकड़ों की माने तो वाराणसी में सबसे ज्यादा 99 वृक्ष है। उसके बाद संगम नगरी प्रयागराज में 53, गाजीपुर में 35, हरदोई में 37 और उन्नाव जिले में विभिन्न प्रजातियों के 34 विरासत वृक्ष हैं।
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योगी सरकार ने विलुप्त हो रही वृक्ष प्रजातियों के संरक्षण के लिए यह कदम उठाया है। इन वृक्षों का पौराणिक/ऐतिहासिक अवसरों, महत्वपूर्ण घटनाओं, अति विशिष्ट व्यक्तियों के स्मारकों, धार्मिक परम्पराओं व मान्यताओं से भी गहरा नाता है। जिनके प्रति जन सामान्य में जागरूकता फैलाने का काम सरकार ने उठाया है।
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काशी में हैं सर्वाधिक विरासत वाले वृक्ष
यूपी राज्य जैव विविधता बोर्ड ने अरु, अर्जुन, आम, इमली, कैम, करील. कुसुम, खिरनी, शमी, गम्हार, गूलर, छितवन, चिलबिल, जामुन, नीम, एडनसोनिया, पाकड़, पीपल, पीलू, बरगद, महुआ, महोगनी, मैसूर बरगद, शीशम, साल, सेमल, हल्दू व तुमाल को विरासत वृक्ष घोषित किया है।
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