संतोष देव गिरि, सोनभद्र। उत्तर प्रदेश को सर्वाधिक राजस्व देने वाले सोनभद्र जिले की यह विडंबना ही कही जाएगी कि जिनके बलबूते खदानों में काम होता आया है। जहां से सरकार को सर्वाधिक राजस्व मिलता आया है। उन्हीं के जीवन की सुरक्षा के इंतजाम आज तक नहीं किया जा सका। दशकों बीतने के बाद भी सोनभद्र की गहरी पत्थर खदानों में दम तोड़ते मजदूरों की असमय मौत का खेल थमने का नाम नहीं ले रहा है। पूर्व में गहरी खदानों में दम तोड़ चुके परिवारों का दर्द अभी कम हुआ भी नहीं था कि गुरुवार को देर शाम सोनभद्र के ओबरा तहसील क्षेत्र में स्थित एक खदान में कार्यरत एक टीपर चालक की गहरी खदान में वाहन समेत गिरने से दर्दनाक मौत हो गई है। इस मौत के बाद सवाल फिर से खड़े होने लगे हैं कि आखिरकार खदानों में कब तक मौत का यह सिलसिला बदस्तूर जारी रहेगा?

परिजनों ने किया सड़क जाम

जानकारी के मुताबिक सोनभद्र जिले के ओबरा के गजराज नगर में गुरुवार को खनन क्षेत्र में एक टीपर पलटने से चालक की मौत हो गई। खदान संचालक ने मामले को दबाने का अंत तक प्रयास किया। हालांकि भारी जनदबाव और मौके पर लोगों के जमा हो जाने से मामला दबाया नहीं जा सका। दुर्घटना के बाद परिजनों ने सड़क जाम कर दिया था। जाम हटाने को लेकर पुलिस से उनकी तीखी झड़प भी हुई है‌। बताया जा रहा है कि ओबरा तहसील क्षेत्र के बिल्ली मारकुंडी के बाड़ी खनन क्षेत्र में गुरुवार को एक टीपर अनियंत्रित होकर पलट गया था। हादसे में टीपर चालक हरिलाल (55) पुत्र रामदुलारे की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई थी। घटना की सूचना मिलते ही परिजन आक्रोशित हो कर भारी संख्या में अन्य लोगों के साथ ओबरा के गजराजनगर में ओबरा-चोपन मार्ग को जाम कर दिए थे। इस बीच हादसे से आक्रोशित लोगों व परिजनों ने शव को गायब करने का आरोप लगाते हुए मुआवजे की मांग की। इस दौरान उन्होंने कहा कि खदान में हरिलाल की मौत होने के बाद उनके शव को वहां से गायब करने का कुचक्र रचा जा रहा था ताकि दुर्घटना पल पर्दा पड़ा रह जाए लेकिन लोगों को पता चल जाने पर ऐसा हो नहीं पाया है।

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पुलिस ने पीड़ित परिजन को दिया आश्वासन

लोगों का आरोप रहा है कि सुरक्षा नियमों को धता बताते हैं खदानों में वाहनों का आना-जाना लगा हुआ है। जिससे आएं दिन हादसे हो रहे है लेकिन खदानों में संलिप्त लोगों के रसूख और रुपयों के आगे गरीब मजदूरों की आवाज को दबा दिया जाता है। गहरी खदान में टीपर पलटने से चालक की मौत के बाद आक्रोशित लोगों द्वारा सड़क जाम करने की सूचना होने पर पुलिस प्रशासन के हाथ पांव फूल गए थे। मौके पर पहुंची पुलिस ने परिजनों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन वह पीछे हटने को तैयार नहीं रहे हैं। बाद में सीओ ओबरा हर्ष पांडेय और नायब तहसीलदार रजनीश यादव ने मौके पर पहुंचकर परिजनों को आश्वासन दिया कि शासन के नियमों के अनुसार परिजनों को आर्थिक सहायता दी जाएगी और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी तब जाकर रात्रि में जाम हटाया जा सका है।

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दूसरी ओर खदान में टीपर पलटने से असमय जान गंवाने वाले चालक के परिजनों को मीडिया के लोगों से दूर रहने तथा उनकी आवाज को दबाने के लिए हादसे के तत्काल बाद खदान मालिक के गुर्गों की दौड़ तेज़ हो गई थी। मृतक चालक के परिजनों के आगे पीछे लगे होने के साथ पुलिस की लिखा पढ़ी तक इनकी सक्रियता देखते बन रही थी। दूसरे दिन शुक्रवार को सुबह भी पीड़ित परिवार वालों को संवेदना जताने से कहीं ज्यादा मामले में खामोश बने रहने और ले-देकर मामले को रफा-दफा कर लेने ही मुनासिब होगा कि तासिर पिलाई जा रही थी।

सोनभद्र की गहरी खदान मौत की खाई

सोनभद्र के खदानों में होने वाले हादसा-दर हादसों के बाद एक सवाल उठता रहा है कि आखिरकार
खनन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए पहाड़ों को काटने और गहरे गड्ढे खोदने के लिए अनुमति दी तो जाती है, लेकिन उन्हें पाटने की जो नियमावली है आखिरकार उसे नजर-अंदाज करते हुए आएं लोगों पर कार्रवाई क्यों नहीं होती है? जबकि यह काम पर्यावरण और सुरक्षा मानकों का पालन करते हुए प्राथमिकता के आधार पर किया जाना चाहिए। क्यों कि इससे आम इंसानों से लेकर जंगली जीव जंतुओं के जीवन को भी खतरा बना रहता है। लेकिन नहीं ऐसा न कर खनन कंपनियां अनुचित तरीके से खनन कर बड़ी-बड़ी गहरी खाइयों को बढ़ावा देती आई हैं।

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खनन क्षेत्रों में सुरक्षा मानकों की अनदेखी

जिले के पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि खनन क्षेत्रों में सुरक्षा मानकों का पालन न होना बहुत गंभीर समस्या है। एक ही रास्ते से आना-जाना, खासकर खनन क्षेत्र में, बेहद खतरनाक हो सकता है। यह स्थिति आपातकालीन स्थिति में लोगों को निकलने का रास्ता नहीं छोड़ती है। जिससे हादसे की स्थिति में जान-माल का नुकसान होने की संभावना बढ़ जाती है। गहरी खदानों में एक ही रास्ते के कारण हादसे की स्थिति में बचाव कार्य भी मुश्किल हो जाता है, जिससे जान-माल का नुकसान बढ़ जाता है। देखा जाए तो खनन क्षेत्रों का नियमित निरीक्षण किया जाना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सुरक्षा मानकों का पालन हो रहा है या नहीं, लेकिन यह सबकुछ भी कागजों में हो रहा है। ताजा मामला भी इसी अनदेखी का परिणाम बताया जा रहा है। बहरहाल अब देखना यह है कि इस मामले में ठोस कार्रवाई सुनिश्चित हो पाती है या इसे भी अन्य हादसों की भांति दबा दिया जाता है।

जांच टीम के लौटते ही हो गया हादसा

सोनभद्र जिले में अवैध खनन के खेल की शिकायतों पर पिछले दो दिनों से सोनभद्र में लखनऊ से एक जांच टीम आईं हुई थी। टीम ओबरा के डाला,चोपन इत्यादि इलाकों का निरीक्षण करने पहुंची हुई थी। टीम के आने की खबर मात्र से ही खदानों में सियापा छा गया था। लखनऊ से आई हुई टीम खनन क्षेत्रों में भ्रमण कर जांच पड़ताल कर जैसे ही वापस हुई, वैसे ही खनन क्षेत्रों में सन्नाटे को चीरते हुए टीपर वाहनों से लेकर खदानों में आवा-जाही शुरू हो गई थी। बताते चले जिस खदान में यह हादसा हुआ है। उस खदान में सुरक्षा नियमों की अनदेखा करते हुए श्रमिकों से काम कराएं जाने की बात सामने आई है। लोगों का आरोप रहा है कि अधिकारी मौके पर आते है और जेब गर्म कर चलते बनते है। जिसका खामियाजा गरीब मेहनतकश मजदूरों को जान गंवा कर भुगतान पड़ रहा है।

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खदान में सुरक्षा और सहूलियत दोनों नदारद

सोनभद्र के ओबरा तहसील क्षेत्र में स्थित खदानों में कुछ खदानें ऐसी भी हैं जहां खनन नियमों का पालन होना तो दूर खदान में काम करने वाले लोगों की सुरक्षा तक को नजरंदाज कर काम कराया जा रहा है। जानकार बताते हैं कि खदानों में खनन नियमों को ताक पर रख खनन किया जा रहा है। सर्वाधिक खतरा खदानों में आने जाने के लिए एक मार्ग होने से बना रहता है, जबकि होना यह चाहिए कि आने और जाने के लिए अलग-अलग रास्ते होने चाहिए, लेकिन ऐसा न करके मजदूरों के जीवन के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। सिर्फ और सिर्फ खानपूर्ति करते हुए बेख़ौफ़ खनन का खेल जारी है। इस संदर्भ में जब शैलेंद्र सिंह जेष्ठ खान अधिकारी से सम्पर्क साध जानकारी चाही गई तो उन्होंने व्यस्तता का हवाला देते हुए बाद में बात करने की बात कही। जबकि ओबरा तहसील प्रशासन का कहना रहा है कि जो न्यायोचित होगा वह मदद मृतक आश्रित को मुहैया कराई जाएगी, साथ ही मामले की जांच की जा रही है। बहरहाल, सबसे बड़ा सवाल अब यह है कि क्या सोनभद्र की खूनी खदानों की कहानी में फिर से कोई अध्याय जुड़ेगा या इस पर रोक लगाने के ठोस उपाय किए जाएंगे।