कानपुर. हत्या या आत्महत्या में उलझे एक मानव कंकाल का 45 महीने बाद भी अंतिम संस्कार नहीं हो पाया है. यह कंकाल 30 सितंबर 2020 को बेहटा बुजुर्ग गांव के एक खेत में पेड़ की डालियों से बनाए गए फंदे से लटका मिला था. पोस्टमार्टम हाउस से कंकाल साढ़ पुलिस को दे दिया गया था. कहा गया था कि जब तक डीएनए रिपोर्ट नहीं आ जाती, कंकाल को सुरक्षित रखना है. तब से लकड़ी के ताबूत में बंद इस मानव कंकाल की पुलिस हिफाजत कर रही है.
साढ़ थाने की भीतरगांव चौकी के तत्कालीन प्रभारी राजेश बाजपेयी के मुताबिक, बेहटा बुजुर्ग के एक खेत किनारे नीम के पेड़ से शव लटके होने की सूचना मिली थी. पेड़ अहमद हसन के खेत किनारे था. नीम के ऊपर डालियों के बीच फंदे में फंसी लाश में सिर्फ कंकाल बचा था. पेड़ के नीचे 9 नंबर साइज की नीली पुरानी चप्पल मिली थी. कंकाल के ऊपर शर्ट-पैंट थी.
राजेश बाजपेयी का कहना है कि पंचायतनामा होने के बाद शव को पोस्टमार्टम हाउस ले जाया गया, जहां कंकाल से सैंपल निकाल डीएनए जांच के लिए विधि विज्ञान विभाग प्रयोगशाला झांसी भेजा गया था. इसके बाद कंकाल को सुरक्षित रखने को कहा गया.
पुलिस कस्टडी में कंकाल
पोस्टमार्टम हाउस के कर्मचारियों ने कंकाल को वहां रखने से मना कर दिया. तब लकड़ी का ताबूत बनाकर कंकाल को वापस भीतरगांव चौकी के एक कमरे में रखना पड़ा. तब से आज भी पुलिस कस्टडी में कंकाल रखा है.
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