आगरा. ताजमहल या तेजोमहालय मामले में गुरुवार को अतिरिक्त सिविल जज (जूनियर डिवीजन) की कोर्ट में सुनवाई हुई. जिसमें यूपी टूरिज्म के महानिदेशक की ओर से केस में लिखित जवाब दाखिल किया गया. इस पर वादी अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने जवाब पर आपत्ति दाखिल करने के लिए समय मांगा. न्यायाधीश नजमा गोमला ने मामले की अगली सुनवाई 13 जनवरी, 2024 को निर्धारित की है.

योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट ने 27 मार्च 2024 को ये वाद दायर किया था, जिसमें ताजमहल या तेजोमहालय को लेकर विवाद उठाया गया है. वादी अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह के मुताबिक यह मामला भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई), यूपी टूरिज्म विभाग और अन्य को प्रतिवादी बनाकर दायर किया गया है.

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वादी अधिवक्ता के मुताबिक ताजमहल के बारे में एएसआई से आरटीआई के जरिए जानकारी मांगी गई थी. जिसमें ताजमहल के निर्माण के समय और उसकी उम्र से संबंधित सवाल पूछे गए थे. एएसआई ने इसे एक शोध का विषय बताते हुए ताजमहल की वेबसाइट और संबंधित पुस्तकों को पढ़ने की सलाह दी. इसके बाद, अजय प्रताप सिंह ने एएसआई के बुलेटिन में प्रकाशित माधोस्वरूप वत्स के लेख “Repairing of Taj Mahal” को पढ़ा, जिसमें ताजमहल के शिल्पकार को लेकर विवाद उठाया गया था.

ताजमहल नहीं, तेजोलिंग महादेव मंदिर?

अजय प्रताप सिंह ने अपनी रिसर्च में बाबरनामा, हुमायूंनामा, रॉयल एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल, एएसआई के बुलेटिन, एपिग्राफिका इंडिका और अन्य किताबों का हवाला दिया, जिनसे ये जानकारी मिली कि ताजमहल का शिल्पकार विवादित है. उन्होंने ये भी बताया कि शिव सहस्त्रनाम में ‘तेजो’ नाम शिवजी से जुड़ा हुआ है और ताजमहल का मूल नाम ‘तेजोलिंग महादेव मंदिर’ हो सकता है.

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राजा ने बनवाया था सफेद शिवलिंग

अजय प्रताप सिंह के मुताबिक एपिग्राफिका इंडिका के बटेश्वर शिलालेख के अनुसार, राजा परमाल देव ने सन 1194 में एक सफेद रंग का शिवजी का मंदिर बनवाया था. इसके अलावा ताज गार्डन का नाम ‘चारबाग’ और ताजमहल के शिल्पकार को लेकर एएसआई के बुलेटिन और अन्य ऐतिहासिक दस्तावेजों में विवाद की बात की गई है.