Mathura News. देश में आज भले ही स्कूल-कॉलेज की संख्या बढ़ गई है, भले ही भारी संख्या में शैक्षणिक डिग्रियां बांटी जा रही हैं, लेकिन लोगों में तार्किक सोच की भारी कमी दिखाई दे रही है. अंधविश्वास का अंधेरा कम होने का नाम नहीं ले रहा है, बल्कि और फैलता जा रहा है. एक दिल दहला देने मामला सामने आया है. मथुरा के एक शख्‍स ने गुवाहाटी के कामाख्‍या में बंगाल की एक महिला की बलि चढ़वा दी. महिला की सिर कटी लाश मंदिर की सीढ़ी पर मिली थी. पुलिस ने चार साल बाद आरोपी को खोज निकाली.

आरोपी ने वहां भूतनाथ मंदिर में अपने छोटे भाई के लिए पूजा कराई थी जिसकी मृत्‍यु 11 साल पहले हो चुकी थी. आरोपी ने पूजा में हिस्‍सा लेने वाले हर व्‍यक्ति को 10 हजार रुपए दिए थे. असम पुलिस ने चार साल पहले कामाख्या मंदिर के पास हुई मानव बलि की इस घटना को लेकर पांच लोगों को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने कहा कि 19 जून, 2019 को अंबुबाची मेले के दौरान मानव बलि के नाम पर एक महिला का सिर काट दिया गया था.

सीढ़ी पर मिला था महिला का सिर कटा शव

गुवाहाटी के पुलिस आयुक्त दिगंता बाराह ने मंगलवार को कहा कि 19 जून, 2019 को कामाख्या मंदिर के पास जॉय दुर्गा मंदिर की सीढ़ी पर एक महिला का सिर कटा शव मिला था. जालुकबाड़ी पुलिस स्टेशन में एक मुकदमा दर्ज किया गया था, लेकिन इस बारे में कोई सुराग नहीं मिला. पुलिस ने जांच शुरू की और करीब एक महीने बाद मृतक महिला के परिजनों ने शव की शिनाख्त की. उसकी पहचान पश्चिम बंगाल के हुगली जिले की निवासी 64 वर्षीय शांति शॉ के रूप में हुई. शांति ने वार्षिक अम्बुबाची मेले में भाग लेने के लिए एक साधु और दो अन्य महिलाओं के साथ पश्चिम बंगाल से असम की यात्रा की थी, लेकिन वह उसके बाद लापता हो गई थी. उसका बेटा सुरेश शॉ 28 जुलाई को जलुकबाड़ी थाने आया था, जब उसे पता चला कि गुवाहाटी में एक सिर कटी लाश मिली है.

कपड़े, गहनों और टैटू के आधार पर हुई शव की पहचान

‘उसने कपड़े के साथ-साथ अन्य गहनों और शरीर पर कुछ टैटू के आधार पर शव की पहचान की. पहचान के अलावा और कोई सुराग या सबूत नहीं मिला.’ बोरा ने कहा कि असम पुलिस की एक विशेष टीम को हाल ही में 2019 के मामले की आगे जांच करने का जिम्मा सौंपा गया था. टीम ने पहले जुटाए गए तकनीकी साक्ष्यों का विश्लेषण किया. प्राप्त सुरागों के आधार पर, वे पश्चिम बंगाल के कूचबिहार गए और कैलाश बर्मन के घर की तलाशी ली. टीम को वहां पीड़िता के मोबाइल हैंडसेट और कपड़े, आईडी प्रूफ (आधार कार्ड) जैसे सामान मिले.

कैलाश बर्मन ने खुलासा किया कि मध्य प्रदेश निवासी माता प्रसाद पांडेय (50) नामक एक बाबा जी ने उन सामानों को एक बैग में अपने घर पर छोड़ दिया था. बर्मन ने पुलिस को बताया कि माता प्रसाद पाण्डेय पहली बार करीब 8 साल पहले उनके गांव आए थे और तब से वह हर साल जून-जुलाई के महीने में गांव आते हैं. 2019 में पांडे अपने घर गए और उन सामानों को एक बैग में छोड़ गए.

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माता प्रसाद पाण्डेय को मध्‍य प्रदेश के जबलपुर से इस वर्ष 25 मार्च को गिरफ्तार कर लिया गया. पांडे ने खुलासा किया कि भूतनाथ मंदिर में 18 और 19 जून की दरम्यानी रात को पूजा की गई थी. इसे कपाली, काल, भैरव या काली पूजा कहा जाता है. पूजा में लगभग 12 व्यक्तियों ने भाग लिया था. यह पूजा यूपी के मथुरा निवासी प्रदीप पाठक उर्फ ​​दिनेश ने अपने छोटे भाई के लिए प्रायोजित की थी, जो एक नागा साधु था और उसी दिन 11 साल पहले उसकी मृत्यु हो गई थी. उन्होंने इसमें हिस्सा लेने वाले प्रत्येक को 10,000 रुपए का भुगतान किया. पाठक को एक अप्रैल, 2023 को मथुरा में उनके आवास से गिरफ्तार किया गया.

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इसके अलावा तीन और लोग गिरफ्तार किए गए. उनकी पहचान सुरेश पासवान (56), कानू आचार्य या कानू तांत्रिक (62), भैयाराम मौरिया या राजू बाबा (60) के रूप में हुई है. बोरा ने कहा कि दो बाबाओं सहित 10 से 12 लोगों ने भूतनाथ में पूजा की गई. इससे पहले उनमें से एक आरोपी ने उस रस्म के लिए गुवाहाटी के फैंसी बाजार से एक दुकान से चाकू खरीदा, जिसकी उन्होंने योजना बनाई थी. बोरा ने बताया कि आधी रात को भूतनाथ में पूजा करने के बाद, सभी पहले कामाख्या गए और बाद में बगला मंदिर के पास श्मशान घाट गए. वे पीड़िता को जॉय दुर्गा मंदिर ले गए. वहां पूजा की और शराब और मांस का सेवन किया. पीड़िता को इस बात का अंदाजा नहीं था कि पूजा बाद में उसकी बलि देने के लिए की जा रही थी.

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