शेयर बाजार में जहां तमाम अनिश्चितताओं ने निवेशकों की नींद उड़ा रखी है, वहीं एक फर्टिलाइज़र स्टॉक ने लगातार प्रदर्शन कर सभी को चौंका दिया है. हम बात कर रहे हैं Kothari Industrial Corporation Ltd (KICL) की, जिसने बीते तीन महीनों में लगातार अपर सर्किट हिट किया है, और पिछले 6 महीनों में 600% से अधिक का रिटर्न देकर बाजार में सनसनी मचा दी है.

60 ट्रेडिंग सेशंस, 60 बार अपर सर्किट

28 फरवरी 2025 से लेकर 29 मई 2025 तक Kothari Industrial Corporation Ltd के शेयरों में लगातार अपर सर्किट देखने को मिला है. गुरुवार को भी कंपनी के शेयरों में 5% की तेजी दर्ज की गई और स्टॉक ₹418 के स्तर पर बंद हुआ. यह लगातार 60वां ट्रेडिंग सेशन था जब शेयर ने अपनी अपर सर्किट सीमा को छुआ.

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600% की रफ्तार, लेकिन ट्रेडिंग वॉल्यूम औसत

हालांकि स्टॉक की कीमत में तेज़ बढ़त देखी गई है, लेकिन ट्रेडिंग वॉल्यूम अपेक्षाकृत सीमित रहा. बीएसई पर गुरुवार को करीब 9,200 शेयरों का ही कारोबार हुआ, जो सभी डिलीवरी बेस्ड थे. इसका मतलब यह है कि निवेशक इसे लंबे समय तक होल्ड करने की रणनीति अपना रहे हैं.

कमाई नहीं खास, फिर भी निवेशकों का भरोसा कायम

KICL उर्वरक के साथ-साथ FMCG और हेल्थ केयर प्रोडक्ट्स के क्षेत्र में भी सक्रिय है. कंपनी ने बीते कुछ समय में अपने ऊपर का कर्ज कम किया है, जो एक सकारात्मक संकेत है. हालांकि, कंपनी की आय और लाभ के आंकड़े अब भी मजबूत नहीं हैं. यही वजह है कि अभी तक रिटर्न ऑन इक्विटी (RoE) जैसे मानकों में यह स्टॉक पिछड़ता नजर आता है.

बुक वैल्यू के मुकाबले शेयर बहुत महंगा

KICL के शेयर की मौजूदा कीमत उसकी बुक वैल्यू से लगभग 34.7 गुना अधिक है. कंपनी की बुक वैल्यू ₹12 प्रति शेयर है, जबकि मार्केट में यह ₹418 पर ट्रेड कर रहा है. इस तरह का अंतर मूल्यांकन पर सवाल खड़े करता है, खासकर तब जब कंपनी की कमाई उतनी मज़बूत नहीं हो.

प्रमोटर होल्डिंग में आई गिरावट

हाल ही में आई रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रमोटर्स की हिस्सेदारी में 6.15% की गिरावट दर्ज की गई है. इससे यह संकेत भी मिलता है कि संस्थागत निवेशक या प्रवर्तक फिलहाल मुनाफा वसूली की ओर बढ़ सकते हैं.

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पिछले 5 साल की बिक्री रही कमजोर

लंबी अवधि की बात करें तो कंपनी की बिक्री दर पिछले 5 वर्षों में -5.75% की गिरावट दिखाती है. यानी राजस्व के स्तर पर यह स्टॉक अब तक बहुत प्रभावशाली नहीं रहा है, जिससे इसके फंडामेंटल्स पर सवाल उठाए जा सकते हैं.

किराए पर दिया गया मैन्युफैक्चरिंग यूनिट

कंपनी ने अपनी उत्पादन इकाई कोरोमंडल इंटरनेशनल लिमिटेड को पांच साल के लिए लीज पर दिया है. यह समझौता उत्पादन और आधुनिकीकरण को लेकर किया गया है, जिससे कंपनी को स्थिर आय तो मिल सकती है, लेकिन इससे उत्पादन या बिक्री में तत्कालिक बढ़ोतरी की उम्मीद कम है.

निवेश से पहले सावधानी जरूरी

KICL ने हाल के महीनों में तेज़ी से भागते हुए निवेशकों को आकर्षित किया है, लेकिन इसके मौलिक संकेतक (Fundamentals) मजबूत नहीं हैं. ऐसे में रिटर्न के साथ-साथ रिस्क का स्तर भी ऊंचा हो सकता है. बाजार विश्लेषकों की राय है कि इस स्टॉक में प्रवेश करने से पहले धैर्य और विवेक से काम लेना चाहिए.