अभिषेक सेमर, तखतपुर। जनपद पंचायत तखतपुर की सामान्य सभा की बैठक बुधवार को हंगामेदार रही। बैठक में उपस्थित अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं जनपद सदस्यों ने क्षेत्र में बढ़ती समस्याओं और प्रशासनिक उदासीनता को लेकर नाराजगी जताई। सदस्यों ने साफ कहा कि क्षेत्र की समस्याओं के निराकरण में अधिकारियों की रुचि नहीं दिख रही है। कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर कार्रवाई लंबित है। वहीं बैठक में कई अधिकारियों की अनुपस्थिति ने जनप्रतिनिधियों की नाराजगी को और बढ़ा दिया।
जनपद सदस्यों का आरोप है कि अधिकारी खुद को सदन से बड़ा समझ रहे हैं, इसलिए बैठक में आना भी जरूरी नहीं समझते। उन्होंने कहा कि इस रवैये से क्षेत्रीय विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं और आम जनता की समस्याएं जस की तस बनी हुई है। अधिकारियों की गैरहाजिरी को सदस्यों ने जनप्रतिनिधियों का अपमान बताया। उन्होंने घोषणा की कि इस मामले की लिखित शिकायत कलेक्टर से की जाएगी और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग उठाई जाएगी।


बैठक में मुख्य रूप से शिक्षा, सड़क, पेयजल, आंगनबाड़ी, विद्युत, कृषि, सहकारिता, खाद्य, स्वास्थ्य सुविधाएँ, आवास एवं अन्य शासकीय योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन जैसे विषयों पर चर्चा की गई, परंतु अधिकारियों की अनुपस्थिति के कारण कई मुद्दों का समाधान नहीं हो सका।
शिक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही
शिक्षा विभाग की गंभीर लापरवाही एक बार फिर सामने आई है। सरस्वती साइकिल योजना के तहत तखतपुर ब्लॉक के लगभग 50 स्कूलों में साइकिल वितरण होना था, लेकिन विभाग की उदासीनता के कारण अब तक सिर्फ 5 स्कूलों में ही वितरण हो सका है। जबकि शिक्षा सत्र अब अंतिम चरण में है। जनपद सदस्य श्याम सिंह ध्रुव ने बताया कि उनके जनपद क्षेत्र की कई बालिकाएँ 6 से 7 किलोमीटर दूर बर्गन से जूनापारा स्कूल पैदल आने को मजबूर हैं। समय पर साइकिल न मिलने से छात्राओं को अत्यधिक कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। जनपद अध्यक्ष, उपाध्यक्ष सहित सभी जनपद सदस्यों ने विभाग की इस लेटलतीफी पर कड़ी नाराजगी जताई। उन्होंने सप्लाई करने वाले ठेकेदार पर कार्रवाई करने की मांग की है तथा शिक्षा विभाग को बचे हुए 45 स्कूलों में जल्द से जल्द साइकिल वितरण सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
महिला एवं बाल विकास विभाग की उदासीनता पर जताई चिंता
महिला एवं बाल विकास विभाग की लापरवाही एक बार फिर सामने आई है। जनपद अध्यक्ष डा. माधवी वस्त्रकार ने बैठक में नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि कई आंगनबाड़ियों में गर्म भोजन के नाम पर घुन लगी दाल परोसी जा रही है। इसके साथ ही सदस्यों ने बताया कि कुछ महीने पहले एक्सपायरी रेडी-टू-ईट दलिया का भी वितरण किया गया था। यह स्थिति नौनिहालों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है। सदन में जब इस मामले पर परियोजना अधिकारी अमित भारत से जवाब मांगा गया तो विभाग द्वारा केवल कार्यकर्ता और सहायिका को नोटिस जारी करने की बात कही। इस पर जनपद अध्यक्ष ने आपत्ति जताते हुए कहा कि सिर्फ छोटे कर्मचारियों को दोषी ठहराना गलत है, सुपरवाइजरों पर कार्रवाई क्यों नहीं? अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा कि यदि समय पर सतत निरीक्षण किया जाता तो इस तरह की लापरवाही सामने नहीं आती।
ठेकेदारों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की मांग
डा. माधवी वस्त्रकार ने विभाग को निर्देशित किया कि क्षेत्र की सभी आंगनबाड़ियों में तुरंत सुधार किया जाए। बच्चों को स्वच्छ, सुरक्षित और गर्म भोजन उपलब्ध कराया जाए। रेडी-टू-ईट सप्लाई करने वाले ठेकेदारों के विरुद्ध उच्च विभाग को पत्र लिखकर कड़ी कार्रवाई की मांग की जाए। इस संबंध में उठाए गए कदमों की जानकारी सदन को भी दी जाए। उन्होंने यह भी कहा कि एक्सपायरी दलिया वितरण और अधिकारियों द्वारा इस पर पर्दा डालना अक्षम्य लापरवाही है। सुपरवाइजर की जिम्मेदारी है कि वे अपने सेक्टर की आंगनबाड़ियों की नियमित रूप से निगरानी करें और गड़बड़ी पाए जाने पर उचित रिपोर्टिंग करें।
अधूरी पाइपलाइन और ठेकेदारों की मनमानी से ग्रामीण परेशान
जल जीवन मिशन के तहत तखतपुर ब्लॉक में पानी टंकी, पाइपलाइन और स्टैंडपोल निर्माण कार्यों की स्थिति बेहद चिंताजनक है। क्षेत्र की अधिकांश पंचायतों में काम अधूरा पड़ा है। कहीं टंकी पूरी नहीं, कहीं पाइपलाइन अधूरी, तो कई जगह स्टैंडपोल वर्षों से अधूरा पड़ा है। इसके बाद भी ठेकेदारों को भुगतान जारी है। जनपद सदस्यों ने गंभीर आरोप लगाते हुए बताया कि कई पंचायतों में एक ही कार्य के दो-दो मूल्यांकन किए गए हैं। यहां तक कि पंचायत द्वारा कराए गए बोर को भी ठेकेदार और विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से जल जीवन मिशन की योजना में दिखाकर राशि आहरण की जा रही है, जबकि बोर खनन पंचायत के खर्च पर हुआ है।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की उपस्थित इंजीनियर तनुजा पटेल ने जनपद सदस्य ऋषभ कश्यप के सवाल पर जवाब देते हुए कहा कि मामले की जांच कर उचित कार्रवाई की जाएगी। जनपद सदस्य मनहरण कौशिक ने सदन में कहा कि अधिकांश पंचायतों में जल आपूर्ति की समस्या लगातार बनी हुई है। सरकार ने जल जीवन मिशन के माध्यम से हर घर नल-जल पहुंचाने की योजना शुरू की है, लेकिन कार्य की धीमी गति से ग्रामीण परेशान हैं। उन्होंने पूछा कि आखिर कार्य कब तक पूरा होगा ताकि ग्रामीणों को स्वच्छ और मीठा पानी मिल सके? गर्मियों में स्थिति और भी गंभीर हो जाती है।
इंजीनियर तनुजा पटेल ने बताया कि योजना पूर्ण करने की समय-सीमा वर्ष 2028 है। इस पर सदस्यों ने कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि क्या क्षेत्र की जनता 2028 तक मीठे पेयजल के लिए इंतजार करती रहे? यह बेहद चिंताजनक है। सदन ने मांग की कि ठेकेदारों पर तत्काल कार्रवाई कराई जाए और आगामी गर्मी से पहले सभी अधूरे कार्यों को शीघ्रता से पूरा कराया जाए, ताकि ग्रामीणों को राहत मिल सके।
विद्युत विभाग के अधिकारी अनुपस्थित, जनपद सदस्य ने लगाया भ्रष्टाचार का आरोप
जनपद पंचायत की सामान्य सभा में आज विद्युत विभाग के अधिकारी की अनुपस्थिति को लेकर सदस्यों ने गहरा आक्रोश व्यक्त किया। क्षेत्र क्रमांक 17 के जनपद सदस्य ने गंभीर मुद्दा उठाते हुए कहा कि विभाग में भ्रष्टाचार और पक्षपात चरम पर है।
उन्होंने आरोप लगाया कि ग्रामीण क्षेत्रों में आम जनता के लिए लगाए गए ट्रांसफार्मर जल जाने पर उसे बदलवाने के लिए ग्रामीणों को एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ता है, यहां तक कि पैसे देने के बाद भी 15 दिन या उससे अधिक समय लग जाता है। इसके विपरीत, यदि किसी राइस मिल संचालक या उद्योग चलाने वाले का ट्रांसफार्मर खराब हो जाए तो विभाग मात्र 1 से 2 दिन के भीतर नया ट्रांसफार्मर लगा देता है।
सदस्य ने तीखा सवाल उठाया कि “क्या विद्युत विभाग के पास उद्योगों और राइस मिल के लिए अलग से ट्रांसफार्मर का विशेष स्टॉक रखा जाता है?” सभा में बिजली की पुरानी तारों को बदलने का मुद्दा भी प्रमुख रूप से उठाया गया। सदस्यों का कहना है कि लंबे समय से जर्जर तारों के कारण गांवों में हादसे का खतरा बढ़ रहा है, लेकिन विभाग ध्यान नहीं दे रहा है। सदस्यों ने मांग की कि विद्युत विभाग ग्रामीण हितों को प्राथमिकता दे तथा ट्रांसफार्मर बदलने की प्रक्रिया को पारदर्शी और त्वरित बनाया जाए।
खाद्य विभाग के अधिकारी अनुपस्थित- निरीक्षण की मांग तेज
सामान्य सभा में खाद्य विभाग के अधिकारी के नहीं आने पर सदस्यों ने गहरी नाराजगी व्यक्त की। जनपद सदस्य ऋषभ कश्यप ने कहा कि पिछली बैठक में राइस मिल संचालकों की विस्तृत सूची मांगी गई थी, लेकिन खाद्य निरीक्षक ने केवल मिलों के नाम भेजे हैं—न संचालकों के नाम, न पता, और न ही संचालन स्थल की कोई जानकारी। ऋषभ कश्यप ने मांग की कि जनपद सदस्यों की एक टीम बनाकर राइस मिलों का निरीक्षण किया जाए और पंचायत एवं अन्य विभागों से ली गई एनओसी की जांच की जाए, क्योंकि कई राइस मिलें एनओसी में उल्लेखित क्षेत्र से अधिक जमीन पर संचालित हो रही हैं। सभा में राइस मिल संचालकों द्वारा धरम कांटा सेट कर धान तौल में हेराफेरी करने का बड़ा मुद्दा भी उठाया गया।
जनपद सदस्य मनहरण कौशिक ने कहा कि स्वयं के धरम कांटे में तौल कम दिखाकर लाखों क्विंटल धान की गड़बड़ी की जा रही है। उन्होंने स्पष्ट कहा, नापतौल विभाग से सभी राइस मिलों के धरम कांटे की जांच कराई जानी चाहिए। इसके साथ ही धान उपार्जन केंद्रों पर अत्यधिक तौल का मुद्दा भी सामने आया। मनहरण कौशिक ने बताया कि देवरी धान उपार्जन केंद्र में प्रति बोरा 42 किलो तक धान तौला जा रहा है, जबकि निर्धारित वजन 40 किलो 500 ग्राम है। उन्होंने कहा कि यह सब अतिरिक्त सुखत के नाम पर किया जा रहा है, जबकि शासन पहले ही 17% सुखत निर्धारित करता है। बैठक में जनपद अध्यक्ष डाॅ. माधवी संतोष वस्त्रकार, उपाध्यक्ष राकेश तिवारी, अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी गोपी सिंह क्षत्रिय सहित जनपद सदस्य एवं अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित रहे।
सदन ने दिए ये सुझाव
- जनपद अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और संबंधित क्षेत्र के सदस्यों की एक टीम बनाई जाए।
- राइस मिलों व उपार्जन केन्द्रों का सतत निरीक्षण किया जाए।
- तौल, एनओसी और संचालन प्रक्रिया की व्यापक जांच कराई जाए।
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