आगरा. उत्तर प्रदेश का लंगड़ा आम इस बार लंबी छलांग लगाने वाला है. लंगड़ा आम की डिमांड अब विदेशों में भी होने लगी है. यूपी में हर साल 35 से 40 लाख टन आम का उत्पादन होता है. यहां की रंगीली तीखी मिर्च की भी खूब मांग है. आगरा में हुए दो दिन के अंतराष्ट्रीय क्रेता-विक्रेता सम्मेलन में ग्रीस व अन्य कई देशों से आए कारोबारियों ने इन उत्पादों में अपनी गहरी रुचि दिखाई है.
अधिकारियों और किसानों का मानना है कि इस सम्मेलन से कई देशों में यूपी के निर्यात की नई संभावनाओं को आकार मिला है. इसके लिए अब पूरी कार्ययोजना तैयार की जा रही है. आगरा में दो व तीन अप्रैल को अंतराष्ट्रीय क्रेता विक्रेता सम्मेलन का आयोजन किया गया था. इस आयोजन में मुख्य फोकस जहां आलू पर था तो वहीं अन्य औद्यानिक उत्पादों के लिए भी मशक्कत की गई थी. सम्मेलन में उप्र के 150 से ज्यादा एफपीओ, कारोबारी, किसान शामिल हुए तो साथ ही विभिन्न देशों के 70 कारोबारियों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई.
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निदेशक उद्यान आरके तोमर के मुताबिक इस सम्मेलन में दुबई, मलेशिया, बहरीन, ग्रीस, बाग्लादेश, नेपाल, भूटान आदि से व्यापारी आए थे. नेपाल के कृषि विभाग की ज्वाइंट सेक्रेटरी भी कार्यक्रम में शामिल हुई थीं. इन कारोबारियों ने कई उत्पादों में अपनी रुचि दिखाई. अहम बात यह रही कि भले ही आम की फसल अभी न आने के कारण सम्मेलन में आम का प्रदर्शन नहीं किया गया, लेकिन कारोबारियों ने आम खरीदने की इच्छा जताई. वैसे तो अमेरिका, आस्ट्रेलिया, जर्मनी, इंग्लैंड, स्वीडन, उजबेकिस्तान, इटली, दक्षिणी कोरिया, नेपाल, दुबई, भूटान, स्विटजरलैंड, फ्रांस आदि देशों में यूपी से आम जाता रहा है पर अब ग्रीस, बहरीन के कारोबारियों ने खास तौर पर लंगड़ा आम मांगा है.
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दशहरी और चौसा भी इन देशों को भाया है. यूपी में प्रतिवर्ष 35 से 40 लाख मीट्रिक टन आम का उत्पादन होता है. साल 2020-21 में 104 टन आम का निर्यात किया गया था. वर्ष 2021-2022 में यह 4122 टन पर पहुंच गया. वर्ष 2022-2023 में अप्रैल से जनवरी माह तक ही 527 मीट्रिक टन का निर्यात हुआ. दरअसल मलिहाबाद के अलावा उन्नाव का हसनगंज, हरदोई का शाहबाद, सहारनपुर का बेहट, बाराबंकी, प्रतापगढ़, बुलंदशहर, बागपत का रटौल, मेरठ का धौलड़ी और अमरोहा समेत विभिन्न 15 ऐसे क्षेत्र हैं, जहां आम की गुणवत्ता न केवल बेहद अच्छी है बल्कि यहां से दूसरे देशों को निर्यात होता है.
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